हाईकोर्ट की रोक और हिल पॉलिसी आने के बावजूद उदयपुर में कट रही पहाड़ियां : यूडीए आखिरकार क्यों इन भूमाफिया को बचा रहा.? हाईकोर्ट में क्यों दायर नहीं करता कोर्ट की अवमानना की याचिका.? क्यों दर्ज नहीं करवा रहा है एफआईआर.?
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। हाईकोर्ट की रोक और सख्ती के बावजूद उदयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में पहाड़ियों की कटिंग पूरी तरह से रूक नहीं पायी है। कहीं न कहीं इसको मिलीभगत का खेल कहा जा सकता है। दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों की बात तो दूर, उदयपुर शहरी क्षेत्र में जिंक स्मेल्टर क्षेत्र में हाइवे किनारे ही कई दिनों से पहाड़ी छलनी हो रही थी, लेकिन यूडीए के जिम्मेदारों के कानों में पहाड़ियों को छलनी कर रही मशीनों की आवाज नहीं पहुंच रही थी। उच्च अधिकारियों ने निर्देश मिले तो आज शुक्रवार को यूडीए की नींद उड़ी और मौके पर पहुंचकर पहाड़ी को छलनी कर रही मशीनें सीज की गयीं। udaipur hill cutting continue after high court ban and hill policy, UDA Seized poclain machine and dumper
यूडीए आयुक्त राहुल जैन के निर्देश पर आज यूडीए तहसीलदार डॉ.अभिनव शर्मा और तहसील शाखा की टीम राजस्व ग्राम जिंक स्मेल्टर पहुंची। यहां पर राजस्व ग्राम जिंक स्मेल्टर के आराजी संख्या 5509 / 4741 जो की रिकार्ड अनुसार कृषि भूमि होकर मौके पर पहाड़ी भूमि है। उक्त पहाड़ी को पोकलेन मशीनों से काटा जा रहा था। इस पर यूडीए ने 2 पोकलेन मशीनों और 1 डंपर को सीज किया। खासबात यह है कि इस पहाड़ी की कटाई को यूडीए (यूआईटी) ने अप्रेल 2024 में रूकवाकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट सबमिट की थी, तब यूआईटी ने 43 स्थानों पर पहाड़ियों की कटायी रूकवाकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट दी थी, इसके बावजूद इन भूमाफिया को हाईकोर्ट का भी डर नहीं है। जानकारी के अनुसार यहां उदयपुर के एक बड़े भू-व्यवसायी द्वारा किसी प्रोजेक्ट के लिए पहाड़ी काटी जा रही है। वीडियो पर क्लिक कर देखें पहाड़ी का हश्र-:
पहाड़ियां काटने वाले हाईकोर्ट के आदेश नहीं मान रहे, फिर भी जिम्मेदार मौन
यूडीए तहसीलदार डॉ.अभिनव शर्मा के नेतृत्व मेंं आज जिस जगह कार्रवाई की गई, उसकी कड़वी हकीकत यह है कि न्यायालय प्रकरण में प्राधिकरण द्वारा उदयपुर शहर में स्वीकृति एवं बिना स्वीकृति के हो रही अवैध पहाडी कटिंग के सम्बन्ध में 43 पहाड़ियां चिन्हित की गई, जिनमें उक्त स्थल भी चिन्हित है। वर्तमान में नवीन पहाडो के संरक्षण हेतु मॉडल विनियम-2024 के अन्तर्गत भी उक्त प्रकार से बिना किसी स्वीकृति एवं बिना पट्टा प्राप्त किये पहाड काटने की अनुमति नहीं है । इस उपरान्त भी मौके पर पहाड़ कटिंग किया जा रहा है ।

हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वालों पर एफआईआर क्यों नहीं.?
यूडीए ने आज मशीनें तो सीज कर दी, लेकिन सवाल यह उठता है कि हाईकोर्ट के आदेश को नजर अंदाज कर पहाड़ियों को छलनी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने और कोर्ट के आदेश की अवमानना का प्रकरण दर्ज करवाने की यूडीए के अधिकारी हिम्मत क्यों नहीं कर पा रहे। आखिरकार यह सहानुभूति का गठजोड़ कब तक चलेगा और कब तक पहाड़ियों का ऐसे सत्यानाश होता रहेगा। इतना सबकुछ होने के बाजूवद हमारे सांसद और विधायक भी आंख, कान और मुंह बंद कर बैठे हैं।
पहाड़ियों के संरक्षण के नियमन की पालना कागजों में हो रही
नगरीय क्षेत्र में स्थित पहाड़ो के संरक्षण हेतु मॉडल विनियम-2018 दिनांक 07.05.2018 को जारी अधिसूचना के तहत जारी की गई है। उक्त अधिनियम पर राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर डीबी सिविल मिस. सेकण्ड एप्लीकेशन संख्या 19428 / 2023 एवं डीबी सिविल रिट पिटीशन संख्या 1374 / 2019 झील संरक्षण समिति बनाम राज्य व अन्य से दिनांक 24.08.2024 से हिल पोलिसी पर रोक लगा दी गई है।
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