औलाद ने मुंह फेरा तब इन वृद्धाश्रमों में मिला सहारा : बड़ी संख्या में वृद्ध महिलाएं भी वृद्धाश्रमों में जीवन यापन कर रहीं
देवेंद्र शर्मा,एआर लाइव न्यूज उदयपुर। औलाद पत्थर दिल निकल जाए या फिर जीवन में सहारा देने वाला कोई इंसान बचा ही नहीं हो, तो बुढ़ापे में जीवन यापन करना काफी मुश्किल और पीड़ादायक होता है। संतान के मुंह फेर लेने से वृद्धजन भावनात्मक रूप से टूट चुके होते हैं और ऐसे में सिर पर छत भी न हो उन्हें सब तरफ अंधेरा ही नजर आता है, इस कलयुग में ऐसे वृद्ध जनों के लिए वृद्धाश्रम ही एक बड़ी उम्मीद होते हैं, जहां उन्हें आश्रय भी मिलता है और वे अपने जैसे दूसरे बुजुर्गों के साथ अपना दुख भी बांट पाते हैं। old age homes in Rajasthan
राजस्थान में केंद्र और राज्य सरकार से स्वीकृत 61 वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं। इनमें कुल 1652 वृद्धजन अपना जीवन यापन कर रहे है। इनमें बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। मेवाड़ में भी ऐसे वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं, जो कि बुजुर्गों के लिए बुढ़ापे का सहारा बने हुए है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान के बड़े शहरों में भी वृद्धाश्रम संचालित हो रहे है। इनमें जीवन यापन करने वाले बुर्जुगों की संख्या भी ज्यादा है। कोटा जिले में 8 वृ़द्धाश्रम संचालित हो रहे हैं, इनमें कुल 227 वृद्धजन निवासरत हैं। बीकानेर में 3 वृद्धाश्रमों में 240 वृद्धजन, जयपुर में 3 वृद्धाश्रम में 195 वृद्धजन, बांरा में 7 वृद्धाश्रम में 143 वृद्धजन, पाली मे 1 वृद्धाश्रम में 70 वृद्धजन, उदयपुर में 2 वृद्धाश्रम में 57 वृद्धजन, अजमेर में 3 वृद्धाश्रम में 75 वृद्धजन, झालावाड़ में 3 वृद्धाश्रम में 64 वृद्धजन, बूंदी में 4 वृद्धाश्रम में 82 वृद्धजन और दौसा जिले में 3 वृद्धाश्रम में 75 वृद्धजन निवासरत हैं।
मेवाड़ में वृद्धाश्रम में निवासरत पुरूष-महिलाओं की संख्या
- जिला : पुरूष : महिलाएं
- चित्तौड़ : 3 : 4
- बांसवाड़ा : 8 : 2
- डूंगरपुर : 0 : 40
- उदयपुर : 32 : 25
- सलूंबर : 7 : 12
- राजसमंद : 4 : 5
वृद्धाश्रम चलाने वाली स्वयंसेवी संस्था को यह मिलता अनुदान
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत कुल 61 वृद्धाश्रम संचालित हैं। इनको सरकार द्वारा तय अनुदान राशि उपलब्ध करवायी जाती है। इसमें भोजन और वृद्धाश्रम संचालन से संबंधित अन्य व्यय शामिल है। स्वयं सेवी संस्था को मैस व्यवस्था के लिए 2500 रूपए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति अनुदान के रूप में दिया जाता है। मैस व्यवस्था के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के व्यय हेतू एक मुक्त वार्षिक अनुदान डेढ़ लाख रूपए दिया जाता है। उक्त दोनों मदों की राशि में राज्य एवं स्वयं सेवी संस्था का अंशदान 90 : 10 होगा।
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