एआर लाइव न्यूज। चीन ने तिब्बत की सबसे लंबी यारलुंग जांगबो नदी पर एक मेगा हाइड्रोपावर परियोजना को मंजूरी दे दी है। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध होगा। इस परियोजना को मिली मंजूरी ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्यों कि तिब्बत की यारलुंग जांगबो नदी बहते हुए अरूणाचल प्रदेश में आती है और भारत में इसे ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है। इस बांध के बनने से भारत के एक बड़े क्षेत्र और लाखों लोगों के बाढ़ या पानी की कमी से प्रभावित होने की आशंका है। hydropower project on Yarlung Zangbo River
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन की पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के 2020 के अनुमान का हवाला देते हुए बताया कि प्रस्तावित बांध से हर साल 300 बिलियन किलोवाट घंटे बिजली का उत्पादन हो सकेगा। परियोजना की लागत 1 ट्रिलियन युआन 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकती है। दावा किया जा रहा है कि यह चीन के हरित और कम कार्बन उत्सर्जन ऊर्जा में एक प्रमुख कदम है।
क्यों बढ़ी हैं भारत की चिंताएं
चीन के सुपर हाइड्रोपावर बांध ने भारत में खतरे की घंटी बजा दी है। सरकार को इस बात से है कि बीजिंग इस परियोजना के बारे में पारदर्शिता नहीं दिखा रहा है। उसे डर है कि तिब्बत बांध के कारण अचानक बाढ़ आ सकती है या निचले इलाकों में पानी की कमी हो सकती है।
इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र भारत और चीन दोनों देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। नदी भारत के मीठे पानी के संसाधनों का लगभग 30 प्रतिशत और इसकी कुल जलविद्युत क्षमता का 40 प्रतिशत हिस्सा है। बढ़ती आबादी के साथ ही दोनों देशों में जलसंसाधनों की मांग बढ़ेगी, इस बीच यह परियोजना दोनों देशों के बीच पानी के लिए संघर्ष को जन्म दे सकती है।
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