गोडावण ब्रीडिंग सेंटर की बड़ी सफलता और गोडावण संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम
एआर लाइव न्यूज। जैसलमेर के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर से खुशखबरी आयी है, पहली बार कृत्रिम गर्भाधान से गोडावन के चूजे का जन्म है। विशेषज्ञों के ऑब्जर्वेशन में चूजा पूरी तरह स्वस्थ है। किसी प्रजाति के संरक्षण में पहली बार भारत में इस तरह का सफल प्रयास किया गया है। इस प्रोजेक्ट की सफलता में वैज्ञानिक डॉ. वाई वी झाला, डॉ. सुतीर्थ दत्ता, डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ एवं डॉ. तुष्णा काकरिया की टीम की अहम भूमिका है। (Great Indian Bustard born through artificial insemination)
जानकारी के अनुसार गोडावण के संरक्षण के लिए शुरू किया गया बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम भारत सरकार और राज्य सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट की शुरूआत डॉ. वाई वी झाला, डॉ. सुतीर्थ दत्ता, डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ एवं डॉ. तुष्णा काकरिया की टीम ने की थी। योजना के तहत ये चारों वैज्ञानिकों ने आबूधाबी जाकर पक्षी प्रजनन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद कृत्रिम गर्भाधान से गोडावण के जन्म के प्रयास शुरू किए थे। टीम ने नर गोडावण के स्पर्म को संग्रहित कर मादा गोडावण में इंजेक्ट किया था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने मादा गोडावण के गर्भाधान से लेकर उसके अंडे देने और चूजों के जन्म तक की पूरी प्रक्रिया को गहन निगरानी में रखा। कृत्रिम गर्भाधान से जन्मा चूजा पूरी तरह स्वस्थ है।
गोडावण प्रजातियों के संरक्षण में यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा
डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रयास रंग लाए हैं। कृत्रिम प्रजनन केन्द्र कई मायनों में सफल साबित हो रहा। भारत में पहली बार इस तरीके से प्रयास किया गया और वह पूरी तरह सफल रहा। गोडावण प्रजातियों के संरक्षण में यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा। (Great Indian Bustard born through artificial insemination)
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