नारायण सेवा का 42 वां निशुल्क सामूहिक विवाह
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। नारायण सेवा संस्थान के 42 वें निशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन जन सामूहिक विवाह समारोह में रविवार को 51 दिव्यांग जोड़ों ने नए उत्साह और उमंग के बीच वैवाहिक जीवन की शुरूआत की। नारायण सेवा संस्थान के बड़ी स्थित परिसर में हर तरफ उत्साह ही उत्साह नजर आया।(narayan seva sansthan 42th disable mass wedding )
नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव, सहसंस्थापिका कमला देवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवाल, ट्रस्टी देवेंद्र चौबिसा व विशिष्ट अतिथि दिल्ली के कुसुम गुप्ता, नरेंद्रपाल सिंह, सत्यनारायण गुप्ता, बृजबाला, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा, गुड़गांव के नितिन मित्तल, सूरत के हरीश कुमार, मुंबई के सतीश अग्रवाल और उदयपुर के संतोषसिंह शलूजा ने गणपति प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर विवाह समारोह की वैवाहिक रस्मों की शुरुआत की।
मंगल गीतों के बीच वरमाला और आशीर्वाद समारोह हुआ
संस्थान परिसर में रविवार सुबह बिंदोली निकली और हाड़ा सभागार के द्वार पर तोरण की रस्म हुई। इसके बाद श्रीनाथजी की झांकी की आरती के साथ ही दिव्यांग वर वधु मंच पर पहुंचे तो हर किसी ने जोश और उमंग के साथ स्वागत किया। पुष्प वर्षा,आतिशबाजी और मंगल गीतों के बीच वरमाला और आशीर्वाद समारोह हुआ। इन जोड़ों में कोई दूल्हा दिव्यांग था, तो कोई दुल्हन। ऐसे जोड़े भी थे जिनमें दूल्हा और दुल्हन दोनों ही दिव्यांग। कोई बैशाखी के सहारे तो कोई व्हीलचेयर पर वैवाहिक जीवन की तरफ अग्रसर था। इनमें जन्मजात प्रज्ञाचक्षु जोड़ा भी शामिल था।
विदाई में नम हुई आंखे
विवाह समारोह में वरमाला के बाद 51 वेदियों पर आचार्यों ने मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक मंत्रों के साथ पवित्र अग्नि के सात फेरों की रस्म अदायगी के साथ पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया। इस दौरान जूते छुपाई और नेग अदायगी रस्म भी निभाई गयी। फेरों की रस्म के बाद विदाई के वक्त हर किसी की आंखें नम थी। दुल्हनों को डोली में बिठाकर उनके विश्राम स्थल तक पहुंचाया गया। जहां से संस्थान के वाहनों से दूल्हा-दुल्हन ने अपने.अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया।(narayan seva sansthan 42th disable mass wedding)
ऐसे जोड़े भी वैवाहिक बंधन में बंधे
समारोह में बिहार से आया एक जोड़ा ऐसा था जिसमें वर सुनील दोनों पांवों से दिव्यांग था जबकि उसकी जीवन संगिनी बनी प्रिया सकलांग थी। उसने बताया कि दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस तरह का समर्पण भी जरूरी है। डूंगरपुर की शांता दाहिने पैर से जन्मजात दिव्यांग है और प्रतापगढ़ के केसरीमल हाथ से अपाहिज है। इन दोनों की चिकित्सा संस्थान में हुई और यही मिलते हुए जीवन साथी बनने का फैसला किया।
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