सुप्रीम कोर्ट ने कहा राज्य आरक्षण में सब कैटेगरी बना सकते हैं
एआर लाइव न्यूज। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को अनुसूचित जाति (एससी) रिजर्वेशन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है, इसके तहत राज्य सरकारें एससी रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। हालां कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारें कोटे में कोटा देने पर मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। राज्य सरकार अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा उसकी हिस्सेदारी के डेटा के आधार पर ही तय कर सकेगी, साथ ही सरकार अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100 प्रतिशत कोटा नहीं दे सकती है। (Supreme Court verdict on SC-ST Quota)
यह अहम फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अनुसूचित जातियों में जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा।
ऐसे शुरू हुई थी बहस और सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिकाएं
2006 में पंजाब सरकार एक कानून लेकर आई थी, जिसमें एससी कोटा में वाल्मीकि और मजहबी सिखों को नौकरी में 50 प्रतिशत आरक्षण और प्राथमिकता दी गई। 2010 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और कानून खत्म कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। “एससी रिजर्वेशन में कोटा में कोटा” को लेकर पंजाब सरकार सहित 23 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट दायर की गईं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इसी वर्ष फरवरी 2024 को सुनवाई शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में दलील दी गयी कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। उदाहरण देकर पंजाब सरकार की तरफ से पक्ष रखा गया कि भर्ती परीक्षा में 56 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले पिछड़े वर्ग के सदस्य को 99 प्रतिशत हासिल करने वाले उच्च वर्ग के व्यक्ति की तुलना में प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि उच्च वर्ग के पास हाईक्लास सुविधाएं हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग इन सुविधाओं के बिना ही संघर्ष करता है। (Supreme Court verdict on SC ST Quota)
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