उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। देश में आज सोमवार 1 जुलाई से तीनों नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। भारतीय दंड संहिता आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। (new criminal laws with bhartiya nyay sanhita into effect from today)
नए कानूनों के कुछ प्रावधान व्यावहारिक तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण हैं, थानों में आने वाले आपराधिक मामलों को दर्ज करने से लेकर उनकी तफ्तीश करने और कोर्ट में चालान पेश करने तक सभी धाराएं और प्रक्रियाएं बदली हैं, ऐसे में इन कानूनों के लागू होने के साथ ही पुलिस विभाग का काम काफी बढ़ जाएगा। जैसे की धोखाधड़ी के मामलों में पुलिस पीड़ित की रिपोर्ट लेकर एफआईआर दर्ज में आईपीसी सेक्शन 420 लगा देती थी, लेकिन अब नए कानून के तहत धारा 318 लगेगी। धोखेबाज अब “चार सौ बीस” नहीं कहलाएगा।
तीनों नए आपराधिक कानून लागू होने के संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को गृह विभाग की उच्चस्तरीय बैठक ली। बैठक में सभी 50 जिलों से पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, सीएलजी सदस्य, सुरक्षा सखी, ग्राम रक्षक और पुलिस मित्र तथा आमजन वर्चुअल रूप से जुडे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नए कानूनों में न्याय की अवधारणा, पीड़ित केन्द्रित सोच तथा त्वरित न्याय के सिद्धांत पर बल दिया गया है। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक पुलिस थाने पर इन कानूनों की जानकारी के संबंध में डेशबोर्ड लगाया जाए। साथ ही, नवीन आपराधिक विधियों का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें।
सभी पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी है, डिजीटल एवीडेंस कलेक्ट करने में जो चुनौतियां आएंगी उनका समाधान करेंगे
उदयपुर एसपी योगेश गोयल ने बताया कि तीनों नए आपराधिक कानून 1 जुलाई रात 12 बजे से लागू हो गए हैं। रात 12 बजे से पहले के जो इंसीडेंट हैं, उनकी रिपोर्ट आज मिल रही है, तो वे पुराने कानून की धाराओं के तहत दर्ज होंगे। आज रात 12 बजे के बाद की जो भी घटनाएं हैं, वे सभी नए कानूनों के अनुसार दर्ज होंगी और उनकी जांच में नये प्रावधान लागू होंगे। सभी पुलिसकर्मियों को इन तीनों नए कानून, इनके प्रावधान और इन्हें लागू करने के तरीकों के बारे में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। पुलिस विभाग के सीसीटीएनएस सहित संबंधित सॉफ्टवेयर नए कानूनों के अनुसार अपडेट कर दिए गए हैं।
एसपी गोयल ने बताया कि नए कानूनों के तहत पुलिसकर्मी के लिए डिजीटल एवीडेंट कलेक्ट करने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण है, पहले पुलिसकर्मी किसी घटना के होने पर मौके पर जाकर नक्शा-मौका बनाते थे, लेकिन अब नक्शा-मौका बनाने के दौरान पूरे प्रोसीजर की वीडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी, कोई भी सामान बरामद या जब्त किया है तो उस दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी, यहां तक कि यदि पुलिस टीम कहीं सर्च करने जा रही है तो पूरी सर्च की भी वीडियो रिकॉर्डिंग होगी और वह सॉफ्टवेयर के जरिए अपलोड करनी होगी। थानों पर हर छोटे-बड़े मामलों की रिपोर्ट आती है, हर मामले में वीडियो एवीडेंट बनाना और कलेक्ट करना पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा। व्यावहारिक पुलिसिंग के दौरान कई समस्याएं आएंगी, जिनका समाधान किया जाएगा।
नए सिरे से कानूनों को पढ़ना होगा, हत्या में नहीं लगेगी 302
सिंघानिया लॉ कॉलेज के निदेशक और सीनियर लीगल एडवाइजर डॉ.अशोक आचार्य ने बताया कि नए अधिनियम भारतीय न्याय संहिता 2023 में 20 अध्याय और 358 धाराएं हैं। भारतीय दंड सहिता (IPC) 1860 में 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं। कानून विद, वकीलों, पुलिस सहित दैनिक रूप में कानून संबंधित कार्य करने वाले लोगों को अब नए सिरे से कानूनों को पढ़ना होगा। इसमें सबसे ज्यादा असर भारतीय न्याय संहिता को पढ़ने पर देखा जाएगा। आमतौर पर लोगों को हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302, ठगी की 420, जानलेवा हमला की 307, दुष्कर्म की धारा 376 सहित अन्य धाराओं का ज्ञान था। अब अपराध की धाराएं नए कानून में बदल गयी हैं। 302 की जगह नए कानून में धारा 103, 420 की जगह 318(4), 307 की जगह 109 और 376 की जगह धारा 64 होगी।
नियत समय में न्याय मिलने के प्रावधान शामिल
मुख्यमंत्री के कहा कि नवीन आपराधिक विधि में आपराधिक मामले के महत्वपूर्ण चरणों को नियत समय-सीमा में बांधा गया है। नए कानूनों में परिवादी को 90 दिन होने पर मुकदमे की प्रगति से पुलिस को अवगत कराना, प्राथमिक जांच को 14 दिन में सम्पन्न करना, बलात्कार संबंधी मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन में प्रदान करना, न्यायालय द्वारा पहली सुनवाई के 60 दिन में आरोप तय करना और विचारण पूरा होने के 45 दिन में निर्णय देने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
सामुदायिक सेवा करने की सजा भी मिल सकती है
- छोटे-मोटे अपराधों के लिए कोर्ट दंड के स्थान पर सामुदायिक सेवा करने की सजा सुना सकती है।
- नए कानूनों में ई-चालान, ई-समन जैसे प्रावधान हैं।
- इसमें मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है।
- राजद्रोह के कानूनी प्रावधान को समाप्त कर देशद्रोह को स्थान दिया गया है।
हमारे पाठक भारतीय न्याय संहिता से ज्यादा से ज्यादा अवगत हो सकें, इस बारे में आने वाले दिनों में एआर लाइव न्यूज एक सीरीज शुरू कर रहा है। जिसमें पाठकों को सबसे ज्यादा उपयोगी भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के बारे में हिंदी में बताया जाएगा।
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