नई दिल्ली (एआर लाइव न्यूज)। भारत सरकार का राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit) चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा। जो वार्षिक अनुमान का 39.3 प्रतिशत रहा। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 37.3 प्रतिशत था। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
लेखा महानियंत्रक (CGA) के आंकड़ों के अनुसार जब सरकार का खर्च आय से ज्यादा हो जाता है, तो वह राजकोषीय घाटा माना जाता है और इस व्यय- आय के अंतर को उधार के माध्यम से पूरा किया जाता है। सरकार ने आम बजट में अनुमान जताया था कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.9 प्रतिशत रहेगा। जो की पिछले वित्तीय वर्ष में GDP का 6.4 प्रतिशत था।
अप्रैल-सितंबर के दौरान सरकार का शुद्ध कर राजस्व (आय) 11.60 लाख करोड़ रुपये रहा जो वार्षिक अनुमान का 49.8 प्रतिशत है। जबकि कुल व्यय 21.19 लाख करोड़ रुपये था जो वार्षिक अनुमान का 47.1 प्रतिशत है। वहीं पिछले वर्ष अप्रैल-सितंबर के दौरान में कर राजस्व (आय) 10.12 लाख करोड़ और कुल व्यय 18.24 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से अधिक था।