एआर लाइव न्यूज, हर्षद कामदार(वरिष्ठ पत्रकार)
क्या चुनाव मेंआम आदमी पार्टी का बीजेपी की बी-टीम बनने की संभावना है..?
लोक कल्याणकारी कार्यों की “रेवडी” कल्चर मुद्दे पर देश भर में लोगों के बीच जोरदार चर्चा चल रही है। यहां तक कि राजनीतिक क्षेत्र में भी केजरीवाल की आप पार्टी के जनकल्याणकारी चुनावी मुद्दों को लेकर उन पार्टियों में बवाल हुआ है, जो जनता के मुद्दों को आवाज नहीं देती हैं या लोगों के ज्वलंत मुद्दों के प्रति उदासीन हैं ।
एक ओर जहां महंगाई ने लोगों का जीवन दयनीय बना दिया है, वहीं बेरोजगारी चरम पर है, शिक्षित और प्रतिभाशाली युवा नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भारी शुल्क वृद्धि और बिजली की दरों के कारण लोगों को दयनीय जीवन जीने के लिए मजबूर किया गया है।
लोग सत्ताधारी दल से इस कदर उब चुके हैं कि कुछ करने के मूड में हैं
गुजरात के मौजूदा हालात के मुताबिक लोग सत्ताधारी दल से इस कदर उब चुके हैं कि कुछ करने के मूड में हैं, लेकिन ये चुनाव हैं, यह कोई नहीं बता सकता कि कब हालात बनेंगे और कब लोगों का मिजाज बदलेगा।
आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल एक के बाद एक लोगों के बीच उन मुद्दों को लाते रहे हैं, जिन्हें लोग मानते हैं कि मुद्दे जनहित के हैं, इस तरह पार्टी का स्वागत होने लगा और मौजूदा समय में आप पार्टी का माहौल कई इलाकों में गया है। राज्य और इसके प्रसार में वृद्धि शुरू हो गई है। आप पार्टी के कार्यकर्ताओं ने छोटे-बड़े शहरों और गांवों को कवर करना शुरू कर दिया है और ऐसा लगता है कि आप अपने ब्रांड झाड़ू के अभियान से लोगों तक पहुंचने में सफल रहे हैं।
विपक्ष में कांग्रेस पार्टी महंगाई, पेट्रोल-डीजल-सीएनजी, पीएनजी (गैस सिलेंडर), महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की कर्जमाफी के मुद्दों पर राज्य भर में प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने ग्रामीण स्तर से लेकर छोटे और बड़े शहरी क्षेत्रों तक विभिन्न मुद्दों पर लोगों के बीच प्रचार करना शुरू कर दिया है, जिसमें वे विशेष रूप से रोजगार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, मुद्रास्फीति के मुद्दे को महत्व देते हुए, अनुबंध प्रणाली को हटाने के अलावा गुजरात राज्य से सीधी भर्ती, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सहित सवाल उठाकर लोगों में ऊर्जा और उत्साह का माहौल बनाया गया है।
वहीं, कांग्रेस द्वारा गुजरात राज्य का चुनावी कमान अशोक गहलोत को सौंपे जाने के बाद कांग्रेस में एक नई ऊर्जा लौट आई है, जिससे पुराने और नए कार्यकर्ताओं के अलावा छिपे हुए कार्यकर्ता भी सामने आने लगे हैं। साथ ही कांग्रेस ने सिर्फ 125 सीटों का लक्ष्य बनाकर चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है ताकि बची हुई सीटों के लिए एनर्जी बर्बाद न हो।
लेकिन आप पार्टी कांग्रेस के लिए एक बड़ी बाधा साबित हो सकती है…!
इस चुनाव में यह कहावत भी सटीक बैठ सकती है कि “मैं तो डूबुंगा ही, लेकिन साथ ही…. ! तो क्या गुजरात चुनाव में कई सीटों पर आम आदमी पार्टी का बीजेपी की बी-टीम बनने की संभावना है..? (गांधीनगर नगर चुनाव की तरह)…!
इन सब बातों के बीच बीजेपी के नेताओं के मन में असमंजस चल रही है, कि बीजेपी का टिकट मिलेगा या नहीं…! किस-किस को टिकट मिलेगा…! साथ ही नए पुराने नेताओं की क्या भूमिका रहेगी…! हालांकि, सीआर पाटिल जैसे मजबूत नेतृत्व में चुनावी सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी जनता के मूड और हर पहलू पर विचार करेगी….! बाकी बीजेपी का आखिरी मुद्दा सार्वजनिक….. आज भी लोगों के मन में है पाकिस्तान के प्रति जहर…..!
वन्दे मातरम…..!