नई दिल्ली,(एआर लाइव न्यूज)। निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद भवन में भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। मुर्मू को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला केंद्रीय हॉल तक ले गए। इसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने उन्हें शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति और आदिवासी समुदाय से पहली राष्ट्रपति बनी हैं।
राष्ट्रपति चुनाव की 22 जुलाई को मतगणना हुई थी। एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को गुरुवार को मतगणना समाप्त होने के बाद आधिकारिक तौर पर देश का 15वां राष्ट्रपति घोषित किया गया। मतगणना में द्रौपदी मुर्मू को 6,76,803 के मूल्य के साथ 2,824 वोट मिले थे, जबकिउनके प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को 3,80,177 के मूल्य के साथ 1,877 वोट मिले।
द्रौपदी मुर्मू ने पार्षद से राष्ट्रपति तक का राजनीतिक सफर तय किया
- 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज में द्रौपदी मुर्मू का जन्म हुआ था। द्रौपदी मुर्मू संथाली आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं।
- उन्होंने ओडिशा के भुवनेश्वर में रमा देवी महिला कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च में सहायक प्रोफेसर और ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया।
- 1997 में भाजपा में शामिल होने के साथ ही उनके राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई थी। इसी साल वे रायरंगपुर की पार्षद और क्षेत्र की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं।
- 2000 के विधानसभा चुनावों में वह रायरंगपुर से विधायक चुनी गईं और राज्य में बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं। वे 2004 तक परिवहन और वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मंत्री रहीं।
- 2006-2009 के बीच मयूरभंज में भाजपा इकाई की जिला अध्यक्ष और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रहीं।
- 2015 से 2021 तक वे झारखंड की राज्यपाल रहीं।
- द्रौपदी मुर्मू के निजी जीवन की बात करें तो उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। उनके दो बेटेए एक बेटी कुल तीन संतानें हुईं। मुर्मू के पति और दोनों बेटों की मृत्यु हो चुकी है। अभी परिवार में मुर्मू की एक बेटी है।