उदयपुर(एआर लाइव न्यूज)। गणगौर पर्व पर सोमवार को करीब दो साल बाद पीछोला किनारे स्थित ऐतिहासिक गणगौर घाट की तस्वीर बदली बदली नजर आयी। विभिन्न समाजों की महिलाएं ईशर गणगौर लिए सवारी के रूप में घंटाघर से गणगौर घाट पहुंची और झील किनारे गणगौर पूजन किया।
कोरोना काल के चलते करीब दो साल बाद गणगौर घाट गणगौर पर्व की सांस्कृतिक विरासत की भव्य तस्वीर देख हर वर्ग का व्यक्ति खुश नजर आया। बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों ने भी मेवाड़ की इस सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत को करीबी से देखा भी और अपने कैमरे में कैद भी किया।
बंशी घाट से पीछोला झील में शाही गणगौर की सवारी
बंशी घाट से गणगौर घाट तक पीछोला झील में शाही ठाठ-बाट से निकली गणगौर की शाही सवारी भी खास आकर्षण का केन्द्र रही। पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियों के बीच झील मध्य निकली शाही गणगौर की इस सवारी को देखने लोग लंबे समय से इंतजार करते है। तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव भी हुआ शुरू गणगौर पर्व के साथ ही तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव का भी शुभारंभ हुआ। गणगौर घाट पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शहरवासियों और पर्यटकों ने खुब पसंद किए। मेवाड़ महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को गणगौर घाट पर शाम 7 बजे से सांस्कृतिक संध्या व विदेशी युगल की राजस्थानी वेशभूषा प्रतियोगिता होगी।
भींडर में निकली गणगौर की राजशाही सवारी
भींडर में भींडर के पूर्व राज परिवार और सनातन धर्मोत्सव सेवा समिति ने गणगौर की राजशाही सवारी निकाली। दीपेंद्र कुंवर और महिलाओं ने गणेश चौक में गणगौर की आरती उतार पूजा अर्चना की। इसके बाद गणगौर की सवारी शुरू हुई। इसमें वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीरसिंह भींंडर सहित कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए।
गोगुंदा में मेला भरा
गोगुंदा में सोमवार को गणगौर पर्व पर पारंपरिक मेला भरा। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। कोरोना काल के चलते दो साल बाद यहां मेला लगने से लोगों में काफी उत्साह नजर आया। मेला स्थल पर लगी स्टालों पर भी सुबह से शाम तक बड़ी संख्या में लोगों ने खरीददारी की।