जयपुर(एआर लाइव न्यूज)। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक और गुर्जर नेता कर्नल (रिटायर्ड) किरोड़ीसिंह बैंसला का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वो पिछले कई दिनों से जयपुर के एक हॉस्पिटल में भर्ती थे। 81 वर्षीय बैंसला ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन से एक पहचान बनाई थी। इस आंदोलन के बाद ही वे एकदम सुर्खियों में आए थे।
कर्नल बैंसला के बेटे ने विजय बैंसला और परिजन कर्नल बैंसला के ईलाज में लगे हुए थे। गुरुवार सुबह बैंसला की तबियत कुछ ज्यादा बिगड़ी और गुरुवार सुबह करीब साढ़े सात बजे उनका निधन हो गया। बैंसला के निधन से खासकर गुर्जर समाज को बड़ी क्षति पहुँची है। करौली के टोड़ाभीम तहसील के मुंडिया गांव में जन्में कर्नल बैंसला हमेशा समाज हित की बात करते थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे,विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कई नेताओं,समाजजनों ने बैंसला के निधन को बड़ी क्षति बताया है।
देश के लिए सीमा पर भी लड़े
किरोड़ी बैंसला के पिता के सेना में थे इस कारण उनका भी रुझान शुरू से सेना में जाने का रहा। वे सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी।
सड़क से लेकर रेल की पटरियों तक किया आंदोलन
सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी ने गुर्जर समुदाय के आरक्षण के लिए लड़ाई शुरू की थी। गुर्जर समाज को ओबीसी में आरक्षण मिल रहा था, लेकिन समाज की मांग थी कि विशेष कैटेगरी में आरक्षण दिया जाए। इस मांग को आंदोलन गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में एक दशक से ज्यादा संघर्ष किया। इस आंदोलन को बैंसला ही रेल की पटरियों पर लाएं थे। तब पुलिस की तरफ से हुई गोलीबारी में गुर्जर समाज के कई लोगों की जान चली गई और रेलवे को भी काफी नुकसान हुआ। हालांकि तब इसी आंदोलन ने बैंसला की अचानक एक बड़ी पहचान दिलाई।
राजनीति में भी भाग्य अजमाया
बैंसला गुर्जर आंदोलन के बाद राजनीति में भी भाग्य आजमाया। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर टोंक-सवाई माधोपुर से चुनाव लड़ा,लेकिन मामूली वोटो से हार गए।