- उदयपुर के विनोद वैष्णव ने एसीबी में की थी शिकायत
- एसीबी कर रही डीएसपी की भूमिका की जांच
- महिला ने पति (एसीबी का परिवादी विनोद) और बहनोई पर दुष्कर्म के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसकी डीएसपी कर रहे थे जांच
उदयपुर/अजमेर,(एआर लाइव न्यूज)। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने सोमवार को अजमेर दरगाह के डीएसपी पार्थ शर्मा के रीडर हेडकांस्टेबल भागचंद रावत को 60 हजार रूपए रिश्वत लेते गिरफ्तार हुआ है। एसीबी की भनक लगने पर हेडकांस्टेबल ने रिश्वत के 60 हजार रूपए टॉयलेट शीट में डाल दिए, लेकिन एसीबी ने हेडकांस्टेबल की पेंट की जेब चेक की, तो उसमें वही रंग मिला, जिसे नोटों रूपयों में लगाकार एसीबी ने परिवादी को दिए थे।
एसीबी ने हेडकांस्टेबल भागचंद सहित दलाली करने वाले वकील मनीष शर्मा और एलएलबी स्टूडेंट कुशाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी ने बताया कि मामले में डीएसपी पार्थ शर्मा की भूमिका की जांच की जा रही है।
मामले में एफआर देने की एवज में मांगी थी रिश्वत
एसीबी एसपी समीर कुमार सिंह ने बताया कि कपासन हाल उदयपुर निवासी विनोद वैष्णव ने एसीबी कार्यालय आकर शिकायत की थी। परिवादी विनोद ने शिकायत में बताया था कि उसके सुसराल पक्ष ने अजमेर में गंज थाने में उसके और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करवाया हुआ है। इस मामले में एफआर देने की एवज में डीएसपी पार्थ शर्मा के रीडर हेडकांस्टेबल भागचंद रावत, वकील मनीष शर्मा व कुशाल राव 3 लाख रूपए रिश्वत की मांग कर रहे हैं। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन किया तो रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई। इसमें दलाली वकील मनीष शर्मा और एलएलबी स्टूडेंट कुशाल कर रहा था।
एसीबी से बचने वेस्टर्न टॉयलेट सीट में डाले रिश्वत राशि
रीडर भागचंद रावत ने रविवार को परिवादी विनोद वैष्णव को अन्य आरोपियों के साथ गंज थाने बुलाया था। यहीं पर विनोद को हेडकांस्टेबल भागचंद रावत को रिश्वत के 60 हजार रूपए देने थे। इस पर एसीबी ने 60 हजार रूपए के नोटों पर एसीबी का विशेष रंग लगाकर विनोद को दिए। परिवादी विनोद परिवार सदस्यों के साथ गंज थाने पहुंचा, रीडर भागचंद रावत ने परिवादी विनोद वैष्णव से रिश्वत के 60 हजार रूपए ले लिए।
एसीबी की भनक लगने पर राशि मिलते ही भागचंद रावत बाथरूम जाने के बहाने वहां से गया और थाने की दीवार फांद कर भाग गया। जब काफी समय तक वह नहीं आया तो विनोद वैष्णव को शक हुआ और एसीबी को सूचना दी।
लोकेशन ट्रेस कर एसीबी टीम हेडकांस्टेबल भागचंद के माखुपुरा स्थित घर पर पहुंची। रावत ने काफी समय तक घर नहीं खोला। बाद में दीवारें कूदकर एसीबी स्टाफ घर में घुसे। तब भी भागचंद रिश्वत लेने से साफ इनकार करता रहा। इस पर एसीबी ने भागचंद की पेंट की जेब चेक की, तो उसमें वही कलर निकला, जिसे एसीबी ने 60 हजार रूपयों के नोटों पर लगाकर परिवादी को दिए थे।
एसीबी ने जब सख्ती से पूछताछ की तो भागचंद ने रूपए वेस्टर्न टॉयलेट सीट में डाल देने की बात कबूली। इस पर एसीबी ने रिश्वत राशि वहां से बरामद की और रीडर हेडकांस्टेबल भागचंद को गिरफ्तार कर लिया। रीडर के दलाल वकील मनीष शर्मा और कुशाल राव को भी दबोचा गया।वकील मनीष पूर्व में ही 5 हजार रुपए भी परिवादी से ले चुका था।
केस में दलाली करता है वकील मनीष
परिवादी विनोद वैष्णव ने बताया कि एडवोकेट मनीष शर्मा ने खुद को डीएसपी पार्थ शर्मा का दलाल बताया। साथ ही कहा कि पूर्व में भी कई मामले डीएसपी साहब के साथ मिलकर निपटा चुका है। मनीष शर्मा और हेड कांस्टेबल भागचंद ने 3 लाख रुपए की मांग की और जेल भेजने का डर भी दिखाया। इसी बीच एक बार भागचंद रावत ने मनीष शर्मा को साइड करके उससे मिलने की बात भी कही थी।