उदयपुर,(ARLive news)। लकवा रोग का इलाज काफी हद तक कारगर उस स्थिति में संभव है, जब मरीज को लकवा का समय रहते मुहैया हो पाए। इलाज में देरी से मरीज की स्थिति बिगड़ती चली जाती है। यह बात विश्व लकवा दिवस के मौके पर जीबीएच अमेरिकन हॉस्पीटल की ओर से मनाए जा रहे स्ट्रोक पखवाड़े के दौरान न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पंकज तापड़िया ने कही।
उन्होंने रेलवे ट्रोनिंग इंस्टीट्यूट, जीबीएच अमेरिकन हॉस्पीटल के सेमीनार हॉल में राजस्थान पेंशनर समाज, आईआईएम, उदयपुर, शेफर्ड मेमोरियल सीएनआई चर्च, चेतक सर्कल में लोगों को संबोधित किया।
डॉ. तापड़िया ने बताया कि लकवा को सही समय पर पहचानकर न्यूरोलॉजिस्ट के पास मरीज को ले जाकर इलाज शुरू कराने से काफी हद तक लकवा को उसी स्थिति में रोकना संभव होता है। लकवा रोगी को हर मिनिट 19 लाख न्यूरोन्स और हर दस घंटे में 14 बिलियन सायनेप्स का नुकसान होता है। इसे रोकने से लकवा बढ़ने से रोकना संभव होता है। दवा और फिजियोथैरेपी से ऐसे कई रोगियों को लकवा बढ़ने से रोकना संभव हुआ है।
रेलवे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में प्राचार्य सीआर कुमावत, आईआईएम में डायरेक्टर प्रो. जनत शाह और चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर षिवकुमार, राजस्थान पेंषनर्स समाज में अध्यक्ष भंवर सेठ अैर शेफर्ड मेमोरियल सीएनआई चर्च में असिस्टेंट पास्टर अविनाष मैसी मौजूद रहे।