मुंबई,(ARLive news)। भारतीय सिनेमा में ट्रेजडी किंग नाम से मशहुर दिलीप कुमार का बुधवार को निधन हो गया, उनके परिवार ने पुष्टि की है। वह 98 वर्ष के थे। उन्होंने हिंदुजा अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। यहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ के बाद भर्ती कराया गया था। दिलीप कुमार को आज शाम 5 बजे जुहू स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, NCP प्रमुख शरद पवार और शाहरुख खान उनके पाली हिल स्थित घर पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
जन्म से उनका नाम मोहम्मद युसूफ खान था, हिंदी सिनेमा में आने के बाद इन्होंने अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया। दिलीप कुमार एक प्रतिष्ठित अभिनेता है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा जगत में 5 दशक की लम्बी पारी खेली है। भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के समय के ये एक अग्रिम अभिनेता रहे है। दिलीप कुमार ने बॉलीवुड में 1940 में कदम रखा था, उस समय हिंदी सिनेमा अपने शुरुआती दौर में था, उस समय ना ज्यादा एक्टर हुआ करते थे, ना फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर। देश की आजादी के पहले फिल्म देखने वाला दर्शक वर्ग भी काफी सीमित था।
कॅरियर के शुरूआत में सैंडविच का स्टॉल तक लगाया दिलीप कुमार ने
दिलीप कुमार जी का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में लाला गुलाम के यहाँ हुआ था। इनके 12 भाई बहन थे। इनके पिता फल बेचा करते थे व अपने मकान का कुछ हिस्सा किराये में देकर जीवनयापन करते थे। 1930 में इनका पूरा परिवार बॉम्बे में आकर रहने लगा। 1940 में अपने पिता से मतभेद के चलते उन्होंने मुंबई वाले घर को छोड़ दिया और पुणे चले गए। यहाँ उनकी मुलाकात एक कैंटीन के मालिक ताज मोहम्मद शाह से हुई, जिनकी मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में एक सैंडविच का स्टाल लगा लिया। कैंटीन का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने के बाद दिलीप कुमार 5000 की सेविंग के साथ वापस अपने घर बॉम्बे लौट आये। इसके बाद अपने पिता की आर्थिक मदद करने के लिए दिलीप कुमार नया काम तलाशने लगे।
दिलीप कुमार जी की शादीशुदा जिंदगी : साल उन्नीस सौ छासठ में इन्होने फिल्म इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और मशहूर अदाकारा सायरा जी से निकाह किया। इन दोनों के बीच उम्र का अंतर उस समय चर्चा का विषय बना। कहां जाता है कि यह कपल बॉलीवुड का हसीन जोड़ा है, जिनके मध्य प्यार की कोई कमी नहीं थी। इतने प्यार के बावजूद भी इंडस्ट्री के इस ट्रेजेडी किंग ने बच्चे की चाह में दौबारा ब्याह रचाया। उनकी यह शादी आसमा रहमान जी के साथ 1980 में हुई थी, परंतु उनका यह विवाह केवल 2 वर्ष चल पाया और दोनों अलग हो गए।
पहली फिल्म से पहले किया बॉम्बे टॉकीज में काम
दिलीप कुमार करियर : इस फील्ड में आने का मौका उन्हें भाग्य ने दिया 1943 में चर्चगेट स्टेशन में इनकी मुलाकात डॉ मसानी से हुई, जिन्होंने उन्हें बॉम्बे टॉकीज में काम करने का ऑफर दिया। फिर इसके बाद इनकी मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई, जिनके साथ उन्होंने 1250 रूपए सालाना का अग्रीमेंट कर लिया। यहाँ महान अभिनेता अशोक कुमार जी से इनका परिचय हुआ, जो दिलीप जी की एक्टिंग से बहुत मोहित हुए। शुरुआत में दिलीप जी कहानी व स्क्रिप्ट लेखन में मदद किया करते थे, क्योंकि उर्दू व हिंदी भाषा में इनकी अच्छी पकड़ थी। देविका रानी के कहने पर ही दिलीप जी ने अपना नाम युसूफ से दिलीप रखा था। जिसके बाद 1944 में उन्हें फिल्म में लीड एक्टर का रोल मिला, हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही पर इसके जरिये दिलीप जी की सिनेमा मे एंट्री हो चुकी थी।
दिलीप जी की पहली फिल्म : पहली फिल्म के बाद दिलीप जी ने जुगनू नामक फिल्म में काम किया, जो बड़े पर्दे पर सफल साबित हुई। और इसके बाद ये रातो रात स्टार बन गए, इनके पास फिल्मों के ऑफर्स की लाइन लग गई। 1949 में दिलीप जी को राज कपूर व नर्गिस के साथ अंदाज फिल्म में काम करने का मौका मिला, ये उस समय की सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बन गई। 1950 का दशक हिंदी सिनेमा के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ।
ऐसे बनी ट्रेजडी किंग की छविऐसे बनी ट्रेजडी किंग की छवि
इस समय दिलीप जी की ट्रेजडी किंग की छवि धीरे-धीरे लोगों के सामने उभरकर आने लगी थी। जोगन, दीदार व दाग जैसी फिल्मों के बाद से ही लोग इन्हें ट्रेजडी किंग बोलने लगे थे। दाग फिल्म के लिए इन्हें पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला। इसके बाद देवदास जैसी महान फिल्म दिलीप जी ने वैजयंतिमाला व सुचित्रा सेन के साथ की थी। शराबी लवर का ये रोल दिलीप जी ने शिद्दत से निभाया था, जिसमें सबने उन्हें ट्रेजिक लवर का ख़िताब दिया।
ट्रेजडी रोल के अलावा दिलीप जी ने कुछ हलके रोल भी किये थे, आन व आजाद जैसी फिल्मों में उन्होंने कॉमेडी भी की थी। 50 के दशक में स्टार के तौर पर स्थापित होने के बाद दिलीप जी ने 1960 में कोहिनूर फिल्म की जिसमें उन्हें फिल्म फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 1960 के दशक में आई इनकी फिल्म मुगले आजम साल 2008 तक हिन्दी सिनेमा में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। 60 के दशक में अपने भाई नासिर खान के साथ गंगा जमुना सरस्वती नामक फिल्म में काम किया, हालांकि यह फिल्म बड़े पर्दे पर असफल रही, परंतु इसने दिलीप जी की इमेज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाला।
फिल्म निर्देशन भी किया और संसद सदस्य भी बने
निर्देशक के रूप में : 1996 में दिलीप जी ने निर्देशक के रूप में कदम रखना चाहा और कलिंगा नाम की फिल्म की तैयारी की, लेकिन किसी कारणवश फिल्म शुरू होने से पहले ही बंद हो गई।
दिलीप कुमार सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में:दिलीप जी हमेशा से पाकिस्तान व भारत के लोगों को जोड़ना चाहते थे, उन्होंने इसके लिए बहुत से कार्य भी किये। सन 2000 से दिलीप जी संसद के सदस्य बन गए, वे एक बहुत अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता है, जो हमेशा जरूरतमंदो की मदद के लिए आगे रहे है।
अवार्ड्स व् अचीवमेंट : 1991 में दिलीप जी को देश के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1993 में दिलीप जी को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 1994 में उनको भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1998 में दिलीप जी को पाकिस्तान सरकार के द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार निशान ए पाकिस्तान से सम्मानित किया गया। ये दुसरे भारतीय थे, जिन्हें ये सम्मान मिला था, इसके पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को ये सम्मान मिला था। दिलीप जी का नाम सबसे अधिक अवार्ड पाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है।
दिलीप कुमार के बारे में रोचक तथ्य
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुमार साहब और इनकी पत्नी की उम्र में 22 साल का अंतर होने के बाद भी बॉलीवुड के इस कपल ने 2 साल पहले ही अपने निकाह के 50 वर्ष पूरे कर लिए है।
दिलीप जी ने फिल्म इंडस्ट्री में 6 दशक से भी अधिक समय तक काम किया है, और इन्होने पहला और सबसे अधिक फिल्म फेयर अवार्ड भी अपने नाम किए है। उन्होने सायरा बानु को उनकी जन्मदिन की पार्टी में पहली बार देखा था, वे उनकी सुंदरता से आकर्षित हुये थे। उनकी सुंदरता से आकर्षित होकर वे सायरा जी को अपनी फिल्मों में अभिनेत्री के रूप में देखने का मन बनाने लगे। और उन्होने सायरा जी को शादी के लिए प्रपोज भी किया था। इनकी कोई संतान नहीं है और अभी उनकी बीमारी में सायरा जी उनकी सेवा बहुत शिद्दत से करती हुई नजर आती है।
राज कपूर और दिलीप कुमार अच्छे दोस्त और अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे। राज कपूर जी ने भी इन्हे फिल्मों में आने की सलाह दी थी। दिलीप कुमार ने एक बार इंग्लैंड में काउन्सलिन्ग और कोचिंग ली थी और वही उन्हे ये सजेस्ट किया गया था कि वे अपनी छवि ट्रेजेडी किंग से बदलकर कॉमेडी में स्थापित करे। दिलीप कुमार बॉलीवुड के ऐसे पहले अभिनेता है जो पाकिस्तान से संबंध रखते है। 1960 के दशक में आई इनकी फिल्म मुगले आजम साल 2008 तक हिन्दी सिनेमा में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी।