The Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2021 यह बिल केन्द्रीय मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया था
डॉ. वेदप्रताप वैदिक —
केंद्र सरकार अब ऐसा कानून बनाने पर उतारु हो गई है, जो दिल्ली की केजरीवाल-सरकार को गूंगा और बहरा बनाकर ही छोड़ेगी। दिल्ली की यह सरकार अब ‘आप’ पार्टी की सरकार नहीं कहलाएगी। वह होगी, उप-राज्यपाल की सरकार याने दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय के द्वारा नियुक्त अफसर की सरकार ! दिल्ली की जनता का इससे बड़ा अपमान क्या होगा ? यह तो वैसा ही हुआ, जैसा कि ब्रिटिश राज में होता था। लंदन में थोपे गए वायसराय को ही सरकार माना जाता था और तथाकथित मंत्रिमंडल तो सिर्फ हाथी के दांत की तरह होता था।
दिल्ली की सरकार उपराज्यपाल की सहमति के बगैर नहीं ला सकेगी कोई भी कानून
अपने आप को राष्ट्रवादी पार्टी कहनेवाली भाजपा यह अराष्ट्रीय काम क्यों कर रही है, समझ में नहीं आता। उसके दिल में यह डर तो नहीं बैठ गया है कि अरविंद केजरीवाल कहीं मोदी का तंबू उखाड़ न दे। देश में आज एक भी नेता ऐसा नहीं है, जो मोदी के मुकाबले खड़ा हो सके। सारे विपक्षी मुख्यमंत्रियों में केजरीवाल इस समय सबसे अधिक चर्चित और प्रशंसित नेता है। दिल्ली प्रांत छोटा है, केंद्र-प्रशासित क्षेत्र है, फिर भी दिल्ली दिल्ली है। इसके मुख्यमंत्री को देश में ज्यादा प्रचार मिलता है। केजरीवाल ने अभी-अभी हुए उप-चुनाव और स्थानीय चुनाव में भी भाजपा को पटकनी मार दी है। केजरीवाल की बढ़ती हुई लोकप्रियता से घबराकर केंद्र सरकार यह जो नया कानून ला रही है, वह भाजपा की प्रतिष्ठा को पैंदे में बिठा देगा।
पुदुचेरी में किरन बेदी और दिल्ली में उप-राज्यपालों ने स्थानीय सरकारों के साथ जैसा बर्ताव किया है, वह किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अशोभनीय है। अब तक दिल्ली की विधानसभा सिर्फ तीन मामलों में कानून नहीं बना सकती थी— पुलिस, शांति-व्यवस्था और भूमि लेकिन अब हर कानून के लिए उसे उप-राज्यपाल से सहमति लेनी होगी। वह किसी भी विधेयक को कानून बनने से रोक सकता है।
दिल्ली की जनता की अदालत में भाजपा ने खुद को दंडित करवाने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है।
इस नए विधेयक को लादते हुए केंद्र ने यह भी कहा है कि ये सब प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के 4 जुलाई 2018 के निर्णय के अनुसार ही किए गए हैं लेकिन यदि आप संविधान पीठ के उस निर्णय को पढ़ें तो आपको उन अफसरों की बुद्धि पर तरस आने लगेगा, जिन्होंने यह विधेयक तैयार किया है और गृहमंत्री को पकड़ा दिया है। यह विधेयक उस फैसले का सरासर उल्लंघन है। हो सकता है कि इस अविवेकपूर्ण विधेयक को लोकसभा पारित कर दे और इस पर समुचित बहस भी न हो लेकिन सर्वोच्च न्यायालय इसे रद्द किए बिना नहीं रहेगा। देश में सबसे बड़ी अदालत तो जनता की अदालत होती है। दिल्ली की जनता की अदालत में भाजपा ने खुद को दंडित करवाने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है।