भरतपुर (ARLive news)। बहुचर्चित राजा मान सिंह हत्याकांड में बुधवार को मथुरा जिला जज साधना रानी ठाकुर ने डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मंगलवार को इन आरोपियों पर धारा 302, 148, 149 के तहत दोष सिद्ध हुआ था।
अदालत के फैसले पर राजा मान सिंह के बेटी दीपा सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि न्याय देर से ही सही, पर सही मिला। वहीं, आरोपी पक्ष के वकील ने अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।
गौरतलब है कि मानसिंह हत्याकांड में कुल 18 आरोपियों के नाम थे। इनमें से 3 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है और एक व्यक्ति को कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया। बचे हुए 14 आरोपियों में से कोर्ट ने 3 को बरी कर दिया।
कोर्ट ने 35 साल बाद इन आरोपियों को सुनाई सजा
कोर्ट ने तत्कालीन डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवा राम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआई रवि शेखर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और 11 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।
इस प्रकार घटा था पूरा मामला
सन् 1985 में 64 वर्षीय राजा मान सिंह राजस्थान के भरतपुर में डीग विधानसभा चुनाव से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह उम्मीदवार थे। 20 फरवरी 1985 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की राजस्थान के डीग में सभा थी। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस समर्थकों ने डीग स्थित किले पर लगा झंडा उतार कर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। इस पर राजा मानसिंह ने सभा में अपनी जोंगा गाड़ी से उनके मंच और हेलीकॉप्टर में टक्कर मार दी। इसके बाद 21 फरवरी को मंडी में डीएसपी कान सिंह और राजा मानसिंह का आमना-सामना हुआ। इस मुठभेड़ में राजा मानसिंह व उनके 2 साथी सुमेर सिंह व हरि सिंह की मौत हो गई थी।