अभी लोगों के पास काम नहीं है, बाजार बंद है, वे शराब पियेंगे तो घरेलू झगड़े बढ़ेंगे।
लकी जैन,(ARLive news)। देश में मंझले वर्ग का व्यक्ति और व्यापारी आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। क्यों कि यही वर्ग थोड़ा-थोड़ा ही सही जो टैक्स भरता है, उससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है। कोरोना लॉकडाउन के तीसरे चरण में भी व्यापारियों की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी गयी है, एक बड़े तबके के पास काम नहीं है। लेकिन शराब की दुकानें खुल गयी हैं।
सरकार का यह निर्णय उनके पिछले अधिकतर निर्णयों की तरह कहीं गलत साबित न हो जाए..? डर है देश का व्यापारी कहीं अवसाद में नहीं चला जाए..! डर है देश में झगड़े, आराजकता न फैल जाए..! घरेलु कार्यों की व्यस्तता अब कहीं घरेलू झगड़ों में न तब्दील हो जाए..! यह डर सिर्फ डर नहीं हैं..! मनो चिकित्सकों और विशेषज्ञों के तथ्य इन सभी बातों को बल देते है, कि लॉकडाउन के इस दौर में शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय सामाजिक ढांचे और पारिवारिक संबंधों के लिए खतरा साबित होगा। घरेलू हिंसा के मामले बढ़ेंगे, परिवार टूटेंगे और अपराध बढ़ेगा।
परिवारों में एक अदृश्य तनाव आ गया है, शराब उसे बढ़ावा देगी
देश के जाने-माने समाज शास्त्री डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि लॉकडाउन के इस दौर में शराब की दुकाने खोलने का निर्णय सामाजिक ढांचे और संबंधों के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा। पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ और यूएनओ ने भी कहा था कि लॉकडाउन में घरेलू हिंसा और बच्चों के साथ होने वाले अपराध बढ़े हैं। अब जब लोग शराब पिएंगे तो यह अपराध और बढ़ेंगे।
समाज शास्त्री डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि देश के एक बहुत बड़े हिस्से का रोजगार खत्म हो चुका है, उनकी रोजी रोटी कैसे चलेगी पता नहीं। अब इस फीयर साइकोलॉजी में वे घर में शराब पियेंगे तो घरों में एक डर का माहौल पैदा हो जाएगा। भय के मनोविज्ञान में परिवार के सदस्य अपनी समस्याएं व्यक्ति के साथ साझा नहीं करेंगें।
लॉकडाउन से परिवारों में मजबूती आयी है, यह सोचना हमारा भ्रम है। इस दौर में लोग काम पर नहीं जा रहे हैं, तो उनमें एक अजीब-सा फ्रस्ट्रेशन है। एक-दूसरे की कमजोरियां खुलकर सामने आयीं हैं। घरों में आदमी-औरत की एक-दूसरे की लाइफ में दखलंदाजी बहुत ज्यादा हो गयी है। जिससे परिवारों में एक अदृश्य तनाव आ गया है। अब इस स्थिति में लोग घरों में शराब पियेंगे तो परिवारों में तनाव और बढ़ेगा, इससे घरेलू हिंसा के मामले बढ़ेंगे और परिवार टूटेंगे। आदमी का शराब पीने के बाद खुद पर इमोशनल कंट्रोल नहीं रहता है, इससे उसमें सुसाइडल टेंडेंसी भी बढ़ सकती है और वह अपराध भी कर सकता है।
यदा-कदा शराब पीने वाले कि यह लत बन सकती है
देश के जाने-माने मनो चिकित्सक डॉ. शिव गौतम का कहना है कि लॉकडाउन के इस दौर में शराब की दुकानों का खुलना लोगों के एडिक्शन को बढ़ावा देगा। लोगों के पास काम नहीं है, दुकानें बंद हैं। लोग बाहर बैठकर तो शराब पियेंगे नहीं, शराब खरीदकर घर लाएंगे और पिएंगें। पहले जो कभी-कभी शराब पीते थे, वे घर में रोज शराब पीकर एडिक्ट हो जाएंगे। मैं समझता हूं कि इस समय शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय उचित नहीं है।