ट्रंप की भारत विजिट के समय दिल्ली दंगे क्या मोदी को बदनाम करने की कोई भीतरघात साजिश तो नहीं थी..?
क्या मोदी अब अकेलापन महसूस कर रहे हैं..?
लकी जैन..-: देश के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक चर्चा जोर पकड़ी रही है कि भारत की दो महाशक्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच क्या कोई दरार आ गयी है..? राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग तर्कों के साथ इस संभावना और इसके परिणाम के कयास लगा रहे हैं..! ट्रंप विजिट के समय दिल्ली दंगों से प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होना और इसी समय गुजरात के सेवानिवृत आईपीएस डीजी बंजारा को सेवानिवृति के 6 साल बाद प्रमोशन दिया जाना.., राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और जिसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
अमेरिका सहित दुनियाभर की मीडिया देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं। जब विश्व की महाशक्ति कहलाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अपने परिवार के साथ दिल्ली में थे, तब दिल्ली के ही दूसरे हिस्से में सरेराह कत्लेआम और दंगे हो रहे थे। सुरक्षा की दृष्टि से यह खतरनाक तो था ही, शर्मनाक भी था..! जबकि राजधानी दिल्ली की पुलिस तो प्रधानमंत्री मोदी के अजीज दोस्त, राजदार देश के गृहमंत्री अमित शाह की है।
दंगों के दौरान पुलिस के रवैये की आलोचना पूरे देश में हो रही है। कहा जा रहा है कि पुलिस चाहती तो दंगे रोक सकती थी, तो पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया..? तो क्या इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी अमित शाह से नाराज हैं..? क्या जिस समय दिल्ली में दंगे भड़काए गए, वह समय सोच-समझकर चुना गया था..? क्या यह दंगे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की कोई साजिश थी..?
इन दिनों एक और असामान्य घटना हुई, जिस पर देश का ध्यान नहीं गया, लेकिन यह घटना मोदी और शाह के रिश्तों में बढ़ती दूरियों को बल दे सकती है..? वह घटना है चार दिन पहले 25 फरवरी को गुजरात के सेवानिवृत आईपीएस डीजी बंजारा को सेवानिवृति के 6 साल बाद प्रमोशन दिया जाना। आईपीएस डीजी बंजारा देश की राजनीति में भूचाल मचाने वाले चर्चित सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में आरोपी रह चुके हैं, हालां कि वे केस से बरी हो चुके हैं। अब सेवानिवृत आईपीएस का प्रमोशन होना सुनने में बड़ी सामान्य सी बात लगती है, लेकिन इसके मायने अलग भी हो सकते हैं। क्यों कि इससे यहां मोदी, शाह और बंजारा का ट्रांयगल बनता नजर आ रहा है।
इतिहास के पन्नों में लिखा हैं शाह-बंजारा का बैर-भाव
चलिए इतिहास के कुछ पन्नों को पलटते हैं। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि “एक समय था जब आईपीएस डीजी बंजारा नरेन्द्र मोदी के बहुत करीबी, विश्वासपात्र हुआ करते थे। साल 2002 से पहले तक ये इतने करीब थे कि मोदी की गोपनीय बैठक में डीजी बंजारा भी कई बार साथ हुआ करते थे। तब अमित शाह मोदी के इतने करीब नहीं थे।
ऐसा कहा जाता है कि मोदी के भाजपा नेता से गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के सफर में जैसे-जैसे अमित शाह उनके करीब आते गए, मोदी के करीबी और विश्वासपात्र लोग उनसे दूर होते चले गए या दूर कर दिए गए। इसकी कसक बंजारा में हमेशा रही है। यही कारण था कि डीजी बंजारा अमित शाह को कभी पसंद नहीं करते थे, या कहें कि इनमें पहले आपसी बैर का भाव भी रहा है।
डीजी बंजारा की अमित शाह के प्रति नापसंदगी उनके उस पत्र में भी जाहिर हुई थी, जो उन्होंने सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में बतौर आरोपी जेल में रहते हुए 1 सितंबर 2013 को लिखा था। इस लेटर को उन्होंने मीडिया के जरिए सार्वजनिक भी किया था। इस पत्र में उन्होंने अमित शाह के लिए काफी कड़वाहटभरी बातें लिखी थीं और पत्र के पेज नंबर 9 के दूसरे पैरा में नरेन्द्र मोदी को भगवान स्वरूप और अमित शाह को बुरा बताकर लिखा था कि “मैं नरेन्द्र मोदी को भगवान स्वरूप मानता हूं, लेकिन वे अमित शाह के प्रभाव में (The evil influence of amitbhai shah) हमें बचाने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।”
अब अमित शाह से इतना बैर रखने वाले अफसर डीजी बंजारा का सेवानिवृति के छह साल बाद 25 फरवरी 2020 दंगों के दूसरे दिन ही प्रमोशन का आदेश निकालना सामान्य नजर नहीं आता है..! बंजारा डीआईजी पोस्ट से सेवानिवृत हुए हैं, लेकिन अब उन्हें ड्यूटी के समय से प्रमोशन दे कर सेवानिवृत आईजी बना दिया गया है।
क्या मोदी पीछे छूट गए करीबियों को वापस नजदीक लाना चाहते हैं..?
ट्रम्प की विजिट के समय हुए दंगों के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासी बदनामी हुई है। तो क्या प्रधानमंत्री इस सबके लिए गृहमंत्री और जिगरी दोस्त अमित शाह से नाराज हैं..? कि शाह की पुलिस ने दंगों को रोका क्यों नहीं..? प्रधानमंत्री मोदी ने भी ग्राउंड रिपोर्ट के लिए गृहमंत्री अमित शाह को नहीं भेजा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भेजा..!
तो क्या वाकैय मोदी-शाह-बंजारा का कोई ट्रायंगल बन रहा है..? क्या खुद को अकेला महसूस कर रहे प्रधानमंत्री मोदी अमित शाह के चलते पीछे छूट गए अपने करीबियों को वापस अपने नजदीक लाने का प्रयास कर रहे हैं..! क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनों से ही भीतरघात का डर सताने लगा है..?
खैर राजनीतिक गलियारों में हो रही इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है या कितना झूठ और कयास, यह तो वक्त ही बताएगा। अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है, बस चर्चाएं और किस्से हैं, जो सुने और सुनाए जा रहे हैं। इतिहास गवाह है सत्ता और शक्ति किसी भी रिश्ते में दरार डाल सकती है।
दिए लिंक पर पढ़ें सेवानिवृत डीजी बंजारा का पूरा लेटर :
https://arlivenews.com/dg-banjara-letter/