मुंबई,(ARLive news)। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में मुंबई सेशन कोर्ट के सभी आरोपियों को बरी करने के फैसले के खिलाफ रूबाबुद्दीन की मुंबई हाईकोर्ट में लगायी गयी याचिका स्वीकार कर ली गयी है।
रूबाबुद्दीन ने याचिका में लिखा है कि सेशन कोर्ट के स्पेशल जज ने आदेश में जो ऑबजर्वेशन और कनक्लूजन दिए हैं, वे साक्ष्यों से पूरी तरह विरोधाभासी हैं। कोर्ट ने 118 गवाहों के समन ही नहीं किया गया और उनके बयान नहीं हुए। रूबाबुद्दीन ने केस में न्यायाधीशों के बदलने को लेकर लिखा है कि केस के हर मोड़ पर इसमें न्यायाधीश बदलते रहे हैं। जहां पहले जज का पूणे तबादला कर दिया गया, वहीं दूसरे जज की मौत हो गयी थी और जिस जज ने इस केस में सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है, वे फैसले के 9 दिन बाद ही सेवानिवृत हो गए।
न्यायाधीश ने केस में सभी को बरी करने के फैसले से पहले दो गवाहों मोहम्मद आजम खान और महेन्द्र सिंह झाला की याचिकाओं को खारिज किया था, जिसमें उन्होंने उनके ट्रायल कोर्ट में दोबारा बयान करवाने का निवेदन किया था। रूबाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में लगायी याचिका में कुछ पुराने केसेज का हवाला भी दिया है और री-ट्रायल की मांग की है।
रूबाबुद्दीन ने केस हिस्ट्री बताते हुए लिखा है कि केस का पहले सीआईडी ने अनुसंधान किया, इसके बाद सीबीआई ने अनुसंधान किया। तुलसी और सोहराबुद्दीन दोनों केस को मर्ज कर सीबीआई ने 38 लोगों का आरोपी बनाया था। इसमें 16 आरोपियों को ट्रायल से पहले ही डिस्चार्ज हो गए थे। 22 आरोपियों के खिलाफ मुंबई की स्पेषल कोर्ट में 5 दिसंबर 2017 से ट्रायल शुरू हुई थी और 21 दिसंबर 2018 तक कोर्ट ने 210 गवाहों को एग्जामिन किया और सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया था।