वॉशिंगटन,(ARLive news)। मोदी सरकार की वापसी पर अमरीका भारत पर मेहरबान हो गया और उसने भारत को अपनी करंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है। इस लिस्ट में कई बड़े व्यापारिक सहयोगी शामिल होते हैं। इसके अलावा स्विट्जरलैंड को भी इस लिस्ट से हटाया गया है। उसने चीन को झटका देते हुए उसके साथ जापान, साऊथ कोरिया, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और वियतनाम को शामिल किया है। अमरीकी वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार के कुछ कदमों से मौद्रिक नीति को लेकर उसकी आशंकाएं दूर हो गई हैं।
ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार के कुछ कदमों से मौद्रिक नीति को लेकर उसकी आशंकाएं दूर हो गई हैं। लिहाजा भारतीय मुद्रा को निगरानी सूची से हटाने का फैसला किया है।
ट्रंप प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एवं विनिमय दर नीतियों पर तैयार रिपोर्ट को अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश करते हुए कहा कि भारतीय मुद्रा विनिमय में अब स्थिरता आ रही है। ऐसे में अमेरिका को उसके साथ व्यापारिक जोखिम नहीं रहा है। रिपोर्ट में आधार बनाए गए तीन मानदंडों में से सिर्फ में एक (द्विपक्षीय अधिशेष) में ही भारत को प्रतिकूल पाया गया है। भारत के अलावा स्विटजरलैंड को भी मुद्रा निगरानी से राहत दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत और स्विटजरलैंड दोनों देशों के विदेशी मुद्रा क्रय मेें 2018 में गिरावट दर्ज की गई थी। इस दौरान दोनों ही देशों को एकतरफा दखल देने का जिम्मेदार नहीं पाया गया है।
ये देश अब भी शामिल: अमेरिका को जिन देशों की विदेशी विनिमय दर पर शक होता है, उनकी मुद्रा को निगरानी सूची में डालता है। अभी चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया और वियतनाम जैसे बड़े व्यापारिक सहयोगी देश शामिल हैं।