पुलिस ने लूट जैसी संगीन वारदातों को भी धमकाने की धारा 384 में दर्ज किया।
उदयपुर,(ARLive news)। चुनावों के बीच जिले के विभिन्न थानों में ज्यादा से ज्यादा अपराधियों की धरपकड़ कर अपना अच्छा रिकॉर्ड बनाने की होड़ मची है। इस बीच उदयपुर शहर के सुखेर पुलिस के थानेदार ने अपना रिकॉर्ड सुधारने का नया तरीका अपनाया है। ये संगीन मामले भी ऐसी धाराओं में दर्ज करते हैं कि अधिकारियों की इन पर नजर ही न पड़े और ये संगीन वारदातों के घटित होने के बाद भी चेन की सांस ले सकें।
14 मार्च और 24 अप्रेल को सुखेर थाना क्षेत्र में महिलाओं के साथ पर्स और चेन लूट की वारदातें हुई थीं। 24 अप्रेल को खुषबू टांक अपने पति के साथ मेवाड़ सर्किल से आरके सर्किल जा रही थी। तभी पीछे से बाइक सवार दो बदमाष आए और खुशबू के गले पर झपट्टा मारकर दो तोला सोने की चेन लूट कर फरार हो गए। पुलिस ने इसे आईपीसी सेक्शन 384 में दर्ज किया है। वहीं 14 मार्च को बैंक मैनेजर युवती अपने भाई के साथ सुखेर क्षेत्र स्थित कनॉट प्लेस पर गयी थी। उसने अपनी स्कूटी रोकी ही थी कि पीछे से बाइक सवार दो बदमाष आए और झपट्टा मार युवती के हाथ से पर्स लूट कर ले गए थे, जिसमें 10 हजार रूपए रखे थे।
सुखेर पुलिस के एफआईआर में लगायी धाराओं से तो लगता है कि महिलाओं के साथ लूट की ये संगीन वारदातें पुलिस को मामूली धमकी मात्र ही लगती हैं। यही कारण है कि पुलिस इन लूट की वारदातों में आईपीसी की धारा 392 के बजाए 384 में दर्ज कर रही है।
ताजुब्ब की बात यह भी है कि हर दिन जिले में दर्ज हुए मामलों की एक समरी रिपोर्ट एसपी और एडिएसपी के सामने पेश होती है, लेकिन उनकी नजर भी थानेदार की इस “रिकॉर्ड सुधारो तरकीब” पर नहीं पहुंची है। इसका सीधा फायदा थानेदार को यह होता है कि उसके थाने के रिकॉर्ड में लूट की वारदातें नहीं दिखती है और अपराधियों को फायदा होता है कि उनका संगीन अपराध सामान्य हो जाता है। संगीन वारदातों को गलत धाराओं में दर्ज करने के संबंध में पुलिस के उच्च अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा होना नहीं चाहिए। ये पूरी तरह गलत है और इस संबंध में पता करवाते हैं कि कौन ऐसा कर रहा है।