एसीबी का रिश्वताखोरों को पकड़ना सराहनीय है, लेकिन यह मामला वन क्षेत्र की लकड़ी की तस्करी से जुड़ा हो सकता है, ऐसे में परिवादी द्वारा बताए जा रहे लकड़ी के बिल की जांच भी जरूरी है
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो डूंगरपुर की टीम ने सोमवार को उदयपुर के खेरवाड़ा क्षेत्र में कार्रवाई करते हुए दो वनरक्षकों महेश कुमार मीणा और विजेश अहारी को 80 हजार रूपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। कातरवास वन रेंज के वन नाके पर पकड़े गए नीलगिरी और सेमल लकड़ी से भरे दो ट्रक बिना कार्रवाई के छोड़ने की एवज में आरोपी वनरक्षक परिवादी से यह रिश्वत ले रहे थे। Udaipur: ACB arrest two forest guards for taking bribe Rs 80000 in kherwara
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक गोविन्द गुप्ता ने बताया कि परिवादी ने एसीबी डूंगरपुर को शिकायत दी थी। जिसमें बताया था कि परिवादी व उसका पार्टनर मिलकर लकड़ी का व्यापार करते हैं। 29 नवंबर को परिवादी और उसके पार्टनर ने नीलगिरी और सेमल लकड़ी से भरे दो ट्रक फलासिया से खेरवाड़ा और झाड़ोल से खेरवाड़ा पहुंचाने के लिए रवाना किए। 30 नंवबर की सुबह परिवादी के दोनों ट्रक वन विभाग की टीम द्वारा नाका कातरवास पर पकड़ लिए गए।
परिवादी ने वननाके पर संपर्क किया तो बिना कार्रवाई किए ट्रक छोड़ने की एवज में वनरक्षक महेश कुमार मीणा और विजेश अहारी द्वारा दोनों ट्रकों के 40-40 हजार रूपए कुल 80 हजार रूपए रिश्वत मांगी, रिश्वत नहीं देने पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।
ट्रकों में भरी नीलगिरी और सेमल की लकड़ी के बिल की भी जांच होनी चाहिए
एसीबी टीम ने शिकायत का सत्यापन किया, जिसमें वनरक्षकों महेश कुमार मीणा और विजेश अहारी द्वारा कुल 80 हजार रूपए रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई। इस पर आज सोमवार सुबह एसीबी टीम ने ट्रेप कार्रवाई करते हुए आरोपी खेरवाड़ा के कातरवास वन रेंज के वन नाका के वनरक्षक महेश कुमार मीण और विजेश अहारी को 80 हजार रूपए रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
परिवादी ने दावा किया है कि ट्रकों में भरी लकड़ी के बिल हैं और वे वैध लकड़ी वैध तरीके से ही खेरवाड़ा भेज रहे थे। चूंकि वननाके पर वनरक्षकों ने लकड़ी के दोनों ट्रक पकड़े और बिना कार्रवाई छोड़ने की एवज में रिश्वत मांगी। ऐसे में ये मामला वन क्षेत्र की लकड़ी की तस्करी से भी जुड़ा हो सकता है। एसीबी का घूसखोर वनरक्षकों को पकड़ना सराहनीय है, लेकिन पुलिस और वनविभाग के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गए ट्रकों में भरी लकड़ी के बिलों की जांच भी करनी चाहिए।
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