हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश देते हुए कहा यह याचिका 2019 से पेंडिंग, लेकिन बरी हुए आरोपी अभी तक हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए, सभी को नोटिस जारी करें
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। बॉम्बे हाईकोर्ट सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में 21 पुलिसकर्मियों सहित सभी 22 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 5 दिसंबर को अंतिम सुनवायी करेगा। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की डिवीजन बेंच ने कहा कि अपीलें 2019 से पेंडिंग थीं, और पिछले तीन सालों में चार सुनवाई हुई हैं। इसके बावजूद बरी हुए कुछ आरोपी अभी तक हाईकोर्ट में उनके वकील के जरिए पेश नहीं हुए हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश जारी किए हैं कि अगली सुनवायी में पेश होने के लिए बरी हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी करें। मामले की अगली सुनवायी 5 दिसंबर को होगी। Sohrabuddin encounter case: Bombay high court to conduct final hearing on 5th December
गौरतलब है कि 21 दिसंबर 2018 को मुंबई सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में फैसला सुनाते हुए 21 पुलिसकर्मियों सहित सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को 2019 में सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में चुनौती देकर री-ट्रायल की मांग की थी और सीआरपीसी की धारा 197 के तहत आईपीएस पुलिस अधिकारियों को केस में ट्रायल शुरू होने से पहले ही डिस्चार्ज करने के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं।
गवाह होस्टाईल हुए, सीबीआई कोर्ट में फेक एनकाउंटर की थ्योरी साबित नहीं कर सकी
एनकाउंटर टीम में शामिल 21 पुलिसकर्मियों सहित 22 आरोपियों ने मामले में ट्रायल फेस की थी, जबकि तत्कालीन गुजरात गृहमंत्री अमित शाह, आईपीएस डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन, अभय चूडास्मा, विपुल अग्रवाल, दिनेश एमएन सहित 16 आरोपी केस की ट्रायल शुरू होने से पहले ही डिस्चार्ज कर दिए गए थे। मतलब इन 16 आरोपियों पर तो कोर्ट ने आरोप माना ही नहीं था और इन्हें आरोपमुक्त कर दिया था।
जबकि एनकाउंटर टीम में शामिल राजस्थान के तत्कालीन इंस्पेक्टर वर्तमान डीएसपी अब्दुल रहमान, तत्कालीन एसआई वर्तमान इस्पेक्टर हिमांशु सिंह राजावत, श्याम सिंह सहित अधिनस्थ पुलिसकर्मी युदवीर सिंह, करतार सिंह और नारायण सिंह सहित गुजरात और आंध्रप्रदेश के 21 पुलिसकर्मियों कुल 22 आरोपियों पर सीबीआई द्वारा कोर्ट में फेक एनकाउंटर के चार्ज फ्रेम किए गए थे, जिनसे इनकार करने पर मुंबई स्पेशल कोर्ट में 21 पुलिसकर्मियों सहित 22 आरोपियों के खिलाफ ट्रायल शुरू हुई थी। सीबीआई ने कोर्ट में 210 गवाह पेश किए थे, जिनमें से 96 गवाह होस्टाईल हो गए थे।
21 दिसंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट ने 21 पुलिसकर्मियों सहित 22 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाए हुए कहा था कि प्रोसीक्यूशन गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के 21 मौजूदा और रिटायर्ड पुलिसकर्मियों सहित कुल 22 आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका। प्रोसीक्यूशन द्वारा कथित फेक एनकाउंटर की बतायी गयी कहानी के मुख्य गवाह ही होस्टाईल हो गए।
2005 में सोहराबुद्दीन और 2006 में तुलसी का एनकाउंटर हुआ था
गौरतलब है कि 23 नंवबर 2005 को राजस्थान और गुजरात पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन कर वांछित अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को एनकाउंटर में मार गिराया था, जबकि सोहराबुद्दीन के साथी तुलसी का भी एक साल बाद दिसंबर 2006 में एनकाउंटर हुआ था।
न्यायालय के आदेश पर इन दोनों एनकाउंटर केस की जांच गुजरात सीआईडी सीबी से सीबीआई को सौंपी गयी थी। सीबीआई ने इन दोनों एनकाउंटर केस की जांच कर इसे फेक एनकाउंटर बताते हुए गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह, गुजरात, राजस्थान के आंध्रप्रदेश के आईपीएस, अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर बड़े उद्योगपतियों सहित कुल 38 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
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