फेफड़ों के रोगियों के लिए उपचार की नई उम्मीद
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भीलों का बेदला के चेस्ट एवं टीबी रोग विभाग के इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ अतुल लुहाडिया और उनकी टीम ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए उदयपुर संभाग में पहली बार प्ल्यूरल क्रायोबायोप्सी प्रॉसिजर किया। इस सफल प्रॉसिजर में डॉ. अतुल लुहाडिया के साथ-साथ डॉ. निश्चय, डॉ. अरविंद, डॉ. गोविंद, डॉ. अंशुल, तकनीशियन लोकेन्द्र, दीपक और नर्सिंग स्टाफ राम प्रसाद एवं बालू का महत्वपूर्ण योगदान रहा। pleural cryobiopsy in PMCH udaipur
दरअसल सलूम्बर निवासी 60 वर्षीय महिला मरीज पिछले एक माह से खांसी और सीने में दर्द की समस्या से परेशान थी। उनकी जांच में सीने में पानी प्ल्यूरल इफ्यूजन पाया गया, लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहा था। इसके बाद मरीज को थोरेकोस्कोपी की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें प्ल्यूरल क्रायोबायोप्सी की गई।
यह तकनीक अब उदयपुर में नियमित रूप से उपलब्ध होगी
इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अतुल लुहाडिया ने बताया कि प्ल्यूरल क्रायोबायोप्सी एक अत्याधुनिक और सटीक तकनीक है, जो पारंपरिक बायोप्सी से कहीं अधिक प्रभावी होती है। इस प्रक्रिया में ठंडी जांच यंत्र (क्रायो प्रोब) का उपयोग करके सीने की झिल्ली या फेफड़ों से ऊतक का नमूना लिया जाता है। यह तकनीक पारंपरिक बायोप्सी के मुकाबले काफी अधिक सटीक, विश्वसनीय और बड़ा ऊतक सैंपल प्रदान करती है, जिससे रोग का निदान करना बहुत आसान हो जाता है। इस प्रक्रिया का विशेष लाभ यह है कि यह कैंसर, टीबी या अन्य फेफड़ों की बीमारियों के निदान में बेहद प्रभावी है।
डॉ. लुहाडिया ने बताया कि आमतौर पर इस प्रक्रिया की लागत 30000 से 40000 रुपये तक होती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से मरीज को यह जांच निशुल्क की गई। डॉ. अतुल लुहाडिया ने स्पष्ट किया कि क्रायोबायोप्सी तकनीक से अब हम उन मरीजों में भी सटीक निदान कर सकते हैं, जिनमें पारंपरिक बायोप्सी से कारण का पता नहीं चल पाता। यह तकनीक अब उदयपुर में नियमित रूप से उपलब्ध होगी, जिससे और अधिक मरीजों को लाभ मिलेगा।
पीएमसीएच के चेयरमेन राहुल अग्रवाल ने डॉ. लुहाडिया और उनकी पूरी टीम को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता उदयपुर संभाग के फेफड़ों के मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।



