क्या उदयपुर शहर से नजदीक गोगुंदा, सायरा, नाई, झाड़ोल जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पुलिस का मुखबीर तंत्र और मौतबीर तंत्र दोनों कमजोर हो गया है.? : क्यों मौतबीरों से बात नहीं कर पायी पुलिस और चलानी पड़ी गोली.?
- पुलिस ने हाईवे पर धरना दे रहे आदिवासियों को धमकाया, क्या इसलिए हुआ पुलिस पर पथराव.?
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। कहा जाता है कि एक अच्छा पुलिस अफसर या पुलिसकर्मी वही होता है, जिसकी उसके क्षेत्र में पकड़ होती है, जिसका क्षेत्र में मुखबीर तंत्र और मौतबीरों में पैठ मजबूत हो। क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौतबीरों में सम्मान और मुखबीर तंत्र दोनों का मजबूत होना जरूरी है। लेकिन गुरूवार को उदयपुर जिले के सायरा थाना क्षेत्र के बरवाड़ा हाईवे-162 ई पर कार की टक्कर से बाइक सवार युवक की मौत का मामला उपद्रव में तब्दील हो गया, क्या इसमें कमजोर पुलिसिंग की झलक दिख रही है या फिर अफसर अपनी साख बचाने के लिए इस पूरे घटनाक्रम को भी क्षेत्रीय राजनीति का नाम दे देंगे। udaipur stone pelting on police in sayra, will investigate reason
“ग्रामीणों ने एक्सीडेंट करने वाले आरोपी की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग को लेकर हाईवे जाम किया”, “पुलिस पर पथराव हुआ” और “जवाब में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी”। लेकिन गुरूवार सुबह हुए एक्सीडेंट के बाद के 7 घंटे तक चले इस पूरे घटनाक्रम को सिर्फ तीन वाक्यों में नहीं समझा जा सकता। एक्सीडेंट सुबह करीब 9.30 बजे हुआ और पुलिस पर पथराव एवं पुलिस की फायरिंग शाम करीब 4.30 बजे हुई। आदिवासियों का हाईवे जाम करना गलत था, लेकिन सुबह 9.30 से शाम 4.30 के बीच के 7 घंटों में पुलिस द्वारा की गयी पुलिसिंग और पुलिस के रवैये की भी बात होनी चाहिए। 7 घंटे हाईवे जाम कर बैठे आदिवासी ग्रामीणों के साथ ऐसा अचानक क्या हुआ कि वे पहाड़ों पर चढ़ पथराव पर उतर आए।
वायरल वीडियो में साफ-साफ दिख रहा पुलिस ने कैसी पुलिसिंग की.?
मृतक के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर हाईवे जाम कर बैठे आक्रोशित आदिवासी ग्रामीणों के साथ पुलिस ने कैसी पुलिसिंग की होगी.. यह वायरल वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है। “सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिस डीएसपी सूर्यवीर सिंह धरने पर बैठे ग्रामीणों को बीच में खड़े होकर गालीगलौज करते हुए धमका रहे हैं कि बस पांच मिनट का टाइम है तुम्हारे पास, यहां से हट जाओ, नहीं तो लाठी चार्ज होगा”। कुछ को कॉलर से पकड़ कर उठा कर धकेला और जबरन उठाने का प्रयास किया। इसी के ठीक बाद धरने पर बैठे ग्रामीण कुछ सैंकंड्स में पहाड़ियों पर चढ़े और पुलिस पर पथराव कर दिया। सवाल है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आदिवासियों से डील करने का क्या यह सही तरीका था.?।
क्यों मौतबीरों से बात कर समाधान नहीं निकाल पायी पुलिस
सुबह 9.30 बजे हाईवे पर एक तेज रफ्तार कार हाईवे किनारे बसे गांव कठार निवासी युवक की बाइक को टक्कर मारती है और युवक की मौके पर मौत हो जाती है। आस-पास ग्रामीण इकट्ठे होते हैं, पुलिस पहुंचती है, एंबुलेंस आती है, ये घटनाक्रम करीब एक-डेढ़ घंटे तक चला और फिर ग्रामीण हाईवे पर युवक का शव रखकर हाईवे जाम कर देते हैं और एक्सीडेंट कर फरार हुए कार चालक की गिरफ्तारी व मुआवजे की मांग करते हैं।
माहौल में तनाव की आशंका पर डीएसपी, सहित चार थानों के एसएचओ और जाब्ता मौके पर पहुंच जाता है। आदिवासियों का एक बड़ा समूह हाईवे पर बैठा होता है और सैकड़ों ग्रामीण आस-पास पहाड़ियों पर होते हैं। पुलिस के साथ वार्ता शुरू होती है। पुलिस समझाइश करती है, लेकिन पुलिस करीब 4 घंटे में भी मौतबीरों से बात कर मामला सुलझाने में सफल नहीं हो पायी और फिर लोगों को धमकाने पर उतर आयी।
पूरे मामले की विस्तृत जांच कराएंगे, हर पक्ष की जांच होगी : उप जिला प्रमुख पुष्कर तेली
उप जिला प्रमुख एवं भाजपा देहात जिला अध्यक्ष पुष्कर तेली ने कहा कि कल जो उपद्रव और पूरा घटनाक्रम सुबह से शाम तक हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण था। टूरिस्ट सीजन चल रहा है, हजारों टूरिस्ट आए हुए हैं और कुंभलगढ़ के रूट पर हुए इस घटनाक्रम से पर्यटक बहुत परेशान हुए और पर्यटकों में अच्छा संदेश नहीं गया। इस क्षेत्र का आदिवासी बहुत सीधा है, ऐसे में यह घटनाक्रम क्यों हुआ, किसने किया, पूरे घटनाक्रम में हर पहलू की विस्तृत जांच होनी चाहिए और इसके लिए हम पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री से मांग करेंगे। जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाए।
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