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Home Gujarat (Hindi)

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: हाईकोर्ट बैंच में हुई सुनवायी, अपीलकर्ता ने री-ट्रायल की मांग की

Lucky Jain by Lucky Jain
October 9, 2025
in Gujarat (Hindi), Home, National, Rajasthan, Udaipur
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Sohrabuddin encounter case: Bombay high court hearing appellant sought for re-trial


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  • सीबीआई ने हाईकोर्ट में कहा- सीबीआई स्पेशल कोर्ट के 2018 में आए फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेगी
  • सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देकर तीन अहम बातें रखी हैं।

लकी जैन, एआर लाइव न्यूज। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में मुंबई हाईकोर्ट ने करीब 6 साल बाद फिर सुनवायी शुरू की है। हाईकोर्ट के दो न्यायाधीश की डिवीज़न बैंच ने 8 अक्टूबर बुधवार को सुनवायी की। सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट द्वारा 2018 को राजस्थान, गुजरात और आंध्रप्रदेश के पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील कर री-ट्रालय की मांग की है और सीआरपीसी की धारा 197 के तहत आईपीएस पुलिस अधिकारियों को केस में ट्रायल शुरू होने से पहले ही डिस्चार्ज करने के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं।

गौरतलब है कि केस में सीबीआई ने गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह, गुजरात के आईपीएस डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन, अभय चूडास्मा, विपुल अग्रवाल, राजस्थान आईपीएस दिनेश एमएन, अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों सहित 38 लोगों को गिरफ्तार कर मामले में आरोपी बनाकर इनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इनमें से आरोपी बनाए गए राजनेता सहित सभी अधिकारियों आईपीएस को केस की ट्रायल शुरू होने से पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया था।

जबकि एनकाउंटर टीम में शामिल राजस्थान पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर वर्तमान डीएसपी अब्दुल रहमान, तत्कालीन एसआई वर्तमान इस्पेक्टर हिमांशु सिंह राजावत, श्याम सिंह सहित अधिनस्थ पुलिसकर्मी युदवीर सिंह, करतार सिंह और नारायण सिंह सहित गुजरात और आंध्रप्रदेश के 21 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों ने केस ट्रायल फेस की और सीबीआई स्पेशल कोर्ट द्वारा दिएफैसले के तहत बरी हुए हैं। राजस्थान पुलिस के नारायण सिंह की बीते वर्षों में मृत्यु हो चुकी है। Sohrabuddin encounter case update: High Court double bench hears case, appellant sought for re-trial

केस में अगली सुनवायी 15 अक्टूबर को होगी

हाईकोर्ट बैंच में हुई सुनवायी के दौरान बुधवार को सीबीआई ने यह स्पष्ट किया कि वह निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं करेगी और उसने सीबीआई स्पेशल कोर्ट के 2018 में दिए गए फैसले को स्वीकार कर लिया है। केस में अगली सुनवायी 15 अक्टूबर को होगी।

होस्टाइल हुए 92 गवाहों के धारा 161 और 164 के तहत दर्ज बयानों की वीडियोग्राफी पेश नहीं की

याचिकाकर्ता रूबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में तर्क दिया है कि निचली अदालत में चली ट्रायल के दौरान कुछ गवाहों के बयान उचित प्रक्रिया के अनुसार दर्ज नहीं किए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश के फैसले में शामिल ऑब्जर्वेशन और कनक्लूजन को साक्ष्यों से विरोधाभासी बताते हुए भी री-ट्रायल की मांग की है।

इसके अलावा याचिका में तर्क दिया गया कि अभियोजन पक्ष के 200 गवाहों में से 92 होस्टाइल हुए थे, जबकि उनके सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत बयान हुए थे और कई गवाहों के बयानों की तो वीडियोग्राफी भी हुई थी। लेकिन अभियोजन पक्ष (सीबीआई) द्वारा वे वीडियोग्राफी ट्रायल कोर्ट में पेश नहीं की गयी। याचिकाकर्ता ने यह तर्क भी दिया है कि लगभग 118 गवाह जो अपने बयानों से होस्टाइल नहीं हुए, उनकी गवाही को निचली अदालत ने गलत तरीके से अविश्वसनीय बताकर नजरअंदाज किया।

पिछली सुनवायी पर हाईकोर्ट बैंच ने कहा था- सालों बाद टेस्टीमनी को लेकर कोई व्यक्ति आवेदन नहीं कर सकता

केस की 24 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट डिवीज़न बैंच के न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि सीआरपीसी के तहत जब कोई साक्ष्य दर्ज किया जाता है, तो उस पर गवाह के हस्ताक्षर होते हैं, अगर वह कहता है कि यह सही ढंग से दर्ज नहीं किया गया है, तो उसे उसी दिन या अगले दिन इस संबंध में आवेदन दायर करना होता है और यही कानून है। कोई भी व्यक्ति कई वर्षों के बाद इस तरह उसके दर्ज किए गए बयान को लेकर आवेदन दायर नहीं कर सकता।

हालां कि याचिका पर सुनवायी करते हुए 8 अक्टूबर को हाईकोर्ट डबल बैंच ने अपीलकर्ताओं से उन गवाहों के नाम और सीरियल नंबर पूछे जिनके बयान अपीलकर्ताओं के अनुसार उचित प्रक्रिया के अनुसार दर्ज नहीं किए गए थे। इस पर अपीलकर्ता के वकील गौतम तिवारी ने दलील दी कि भाइयों को निचली अदालत से संबंधित दस्तावेज नहीं मिले हैं और उनके पास सभी रिकॉर्ड भी नहीं हैं।

इसके बाद उच्च न्यायालय ने अगली तारीख 15 अक्टूबर दी और अपीलकर्ताओं से कहा कि वे 15 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई तक ऐसे गवाहों के नाम बताएं जिनके बयान अपीलकर्ताओं के अनुसार उचित प्रक्रिया से दर्ज नहीं किए गए हैं।

सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया था कि एनकांउटर फर्जी थे, लेकिन कोर्ट में साबित नहीं कर पायी

21 दिसंबर 2018 को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए राजस्थान, गुजरात और आंध्रप्रदेश के पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों को बरी करने का फैसला सुनाया था। फैसले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष (सीबीआई) सोहराबुद्दीन शेख और उसके साथी तुलसी प्रजापति के एनकाउंटर को आरोपी पक्ष के खिलाफ फर्जी एनकाउंटर या फर्जी एनकाउंटर के षडयंत्र को साबित करने करने में विफल रही। साथ ही सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी की हत्या को भी साबित करने में भी विफल रही है।

सीबीआई ने चार्जशीट में गढ़ी थी सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और साथी तुलसी प्रजापति के हत्या की कहानी

गौरतलब है कि 2005 में कुख्यात गैंगस्टर सोहराबुद्दीन का गुजरात और राजस्थान की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन के तहत एनकाउंटर किया था। 2006 में सोहराबुद्दीन के साथी तुलसीराम प्रजापति का भी एनकाउंटर हुआ था। बाद में सोहराबुद्दीन और तुलसी के परिजनों ने दोनों एनकाउंटर को फेक एनकाउंटर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच गुजरात सीआईडी से सीबीआई को सौंपी गयी थी और फेयर ट्रालय के लिए पूरा केस मुंबई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

2019 के बाद अब शुरू हुई है हाईकोर्ट में सुनवायी

रूबाबुद्दीन और नयाबुद्दीन ने 2018 में मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ जून 2019 को हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी थी, तब अपील को स्वीकारते हुए हाईकोर्ट ने बरी किए गए लोगों को भी नोटिस जारी किए। हालां कि अक्टूबर 2019 के बाद गत माह 2025 तक मामले में कोई सुनवायी नहीं हुई थी। अब 22 सितंबर से हाईकोर्ट ने मामले की फिर सुनवायी शुरू की है, 22 सितंबर को सुनवायी कर अगली तारीख 8 अक्टूबर दी थी और आज सुनवायी कर अगली तारीख 7 दिन बाद 15 अक्टूबर की दी है।

हमारे तीन पॉइंट है : री-ट्रायल की जाए, डिस्चार्ज किए गए आरोपियों को 197 के तहत राहत न दी जाए और होस्टाइल हुए गवाहों के खिलाफ कार्रवाई हो

एआर लाइव न्यूज ने जब रूबाबुद्दीन से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने तीन पॉइंट पर ही बात की है। पहला मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले को क्वैश कर री-ट्रायल की मांग की है। दूसरा सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति नहीं होने से पुलिस अधिकारियों को डिस्चार्ज करने के फैसले को चुनौती दी है और तीसरा पॉइंट होस्टाइल हुए गवाहों के खिलाफ एफआईआर की मांग कर सीबीआई जांच के दौरान धारा 161 और 164 के तहत हुए गवाहों के बयानों की वीडियोग्राफी पेश करने की बात कही है।

क्लिक कर पढ़ें 21 दिसंबर 2018 को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने जजमेंट देते समय क्या कहा था

सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर : जज ने कहा दुख है मृतकों के परिवार के लिए, लेकिन इन आरोपियों पर अभियोजन पक्ष आरोप साबित नहीं कर पाया
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