उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। नारायण सेवा संस्थान की ओर से रविवार को 44वां दिव्यांग एवं निर्धन निशुल्क सामूहिक विवाह समारोह सम्पन्न हुआ। 51 जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र अग्नि की साक्षी में एक-दूसरे का हाथ थामा और उस सुहाने सफर पर कदम बढ़ाए जिसके सपने वे वर्षों से देख रहे थे। Narayan Seva Sansthan 44th Divyang mass wedding ceremony concluded: 51 couples enters golden married life
विवाह में ऐसे जोड़े भी सम्मिलित थे जिनमें वधू अथवा वर पैरों से दिव्यांग, कोई एक पैर से तो साथी हाथ से, एक दिव्यांग तो दूसरा दृष्टिबाधित, ऐसे भी जोड़े थे जो घुटनों के बल चलते हैं, लेकिन अब ये सभी एक-दूसरे की ताकत और दृष्टि बनकर खुशनुमा गृहस्थी के सपनों को साकार करेंगे। इन जोड़ों में से अधिकतर की दिव्यांगता सुधारात्मक निशुल्क सर्जरी संस्थान में ही हुई यहीं इन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए निशुल्क सिलाई, मोबाइल सुधार और कंप्यूटर के कोर्स किए और जीवनसाथी की तलाश भी यहीं पूरी हुई। विवाह झलकियों के लिए वीडियो पर क्लिक करें:-
बिंदोली-तोरण से हुई विवाह समारोह की शुरूआत
सभी 51 जोड़ों की सुबह 10 बजे धूमधाम से निकली बिंदोली के साथ विवाह समारोह की शुरुआत हुई। विवाह की पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे दूल्हा-दुल्हन की बिंदोली में सबसे आगे ढोल की थाप पर झूमते बाराती घराती और बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से आए अतिथि थे। भगवान श्रीनाथजी एवं अयोध्यापति श्रीरामलला की छवि के सानिध्य में दूल्हों ने क्रमवार तोरण रस्म का निर्वाह कर विवाह पांडाल में प्रवेश किया। सज्जित मंच पर दूल्हा.-दुल्हनों ने संस्थान संस्थापक पद्मश्री अलंकृत कैलाश मानव व कमला देवी से आशीर्वाद लिया। इसके बाद संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल की सहायता से दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे के गले में वरमाला डाली और हमसफर बनें।

वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच लिए सात फेरे
नव युगल का पाणिग्रहण संस्कार पवित्र अग्निकुंड के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सात फेरों के साथ संपन्न हुआ। प्रत्येक जोड़े की वेदी पर एक आचार्य मौजूद थे। 51 आचार्य ने एक मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में यह भव्य सामूहिक विवाह संपन्न करवाया। देश-विदेश से आए संस्थान के सहयोगी, दानदाता, दूल्हा-दुल्हन के परिजन, संस्थान की भारतभर में फैली शाखाओं के प्रभारी, संयोजक व प्रेरक कन्यादानी इस महाकुम्भ के साक्षी बने। विवाह के बाद बेटियों को प्रतीकात्मक रूप से डोली में बिठाकर दूल्हे व उनके परिजनों के साथ विवाह प्रांगण से विदाई दी गई।

पूर्व विवाहित जोड़े ने भी समारोह में नवदंपत्तियों को खुशहाल जीवन की शुभकामनाएं दीं। इन जोड़ों ने बताया कि संस्थान के माध्यम से आज न केवल वे पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर हैं बल्कि अपनी खुशनुमा गृहस्थी के साथ बच्चों के सुखद भविष्य का ताना-बाना बुन रहे हैं।

उपहार में गृहस्थी का सामान
नई गृहस्थी बसाने के लिए सभी जोड़ों को आवश्यक सामान प्रदान किया गया। जिनमें बर्तन, गैस, चूल्हा, संदूक, क्राकरी, डिनर सेट, स्टील कोठी, पलंग, बिस्तर, पंखा, दीवार घड़ी सहित अन्य सामान थे। जबकि कन्यादानियों व अतिथियों की ओर से प्रत्येक जोड़ो को मंगलसूत्र, चूड़ियां, चैन, कर्णफूल, नाक की बाली, बिछिया, पायल, अंगूठी व सौंदर्य प्रसाधन सामग्री उपहार स्वरूप प्रदान की गई।

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