हाथों में मेहंदी रची देख दुल्हनों के आंखों से छलके खुशी के आंसू, बोलीं- यह सब कुछ सपने जैसा
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। जीवन में जहां कठिनाइयां कदम रोक देती हैं, वहीं सेवा और सहयोग से नए सपने जन्म लेते हैं और फिर कोई सपना अधूरा नहीं रहता। नारायण सेवा संस्थान की ओर से शनिवार को लियों का गुड़ा स्थित संस्थान परिसर में 44वां निशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह गणपति पूजन और मंगल वंदना के साथ शुरू हुआ। दो दिन चलने वाले इस आयोजन में 51 जोड़े 25 दिव्यांग और 26 सकलांग परिणय सूत्र में बंधेंगे। Narayan Seva Sansthan 44th Free Mass Wedding Ceremony rituals starts
नारायण सेवा संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव, कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल, पलक अग्रवाल, जगदीश आर्य और देवेंद्र चौबीसा ने गणेश पूजन कर विवाह महोत्सव का शुभारंभ किया। मंच पर शिव-पार्वती विवाह और राधा-कृष्ण नृत्य-नाटिकाओं ने ऐसा माहौल रचा कि हर चेहरा भक्ति और उल्लास से खिल उठा।

दुल्हनों की मुस्कान में बसी भावनाएं
दुल्हनों की हल्दी और मेहंदी की रस्में हुईं। ढोलक की थाप पर गूंजते गीत हल्दी लगाओ रे, तेल चढ़ाओ रे, और आओ री सखियों मेहंदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो के साथ अतिथि गणों और परिजनों ने हल्दी-मेहंदी की रस्में निभायीं।
जब दुल्हनों के हाथों में मेहंदी रची, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा यह दिन हमारे लिए सपने जैसा है, जिसे हम कभी सोच भी नहीं सकते थे। समारोह के विशिष्ट अतिथि मुंबई से आए महेश अग्रवाल व सतीश अग्रवाल, कोयंबटूर से वेंकटेश्वर और दिल्ली से प्रवीण गौतम और एसपी कालरा सहित कन्यादानी, भामाशाहों का कार्यक्रम में सम्मान किया ।

सेवा से संवरते सपने
संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा जिन्होंने निशक्तता और निर्धनता को अपनी नियति मान लिया था, कल वे जीवन साथी संग सात फेरे लेने जा रहे हैं। यह भामाशाहों और समाज के सहयोग का परिणाम है और हमारे लिए गर्व का क्षण। अब तक संस्थान के माध्यम से हुए 43 सामूहिक विवाहों में 2459 जोड़ें अपना परिवार बसा चुके हैं। इनमें से कई जोड़े इस बार अपने बच्चों के साथ आकर नवविवाहितों को आशीर्वाद दे रहे हैं।
महिला संगीत की रंगारंग प्रस्तुतियों ने बांधा समां
महिला संगीत की रंगारंग प्रस्तुतियों ने शाम को और भी यादगार बना दिया। दूल्हा-दुल्हनों ने भी गीतों और ठुमकों के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत का उत्साह जताया। परिजनों ने अपने-अपने अंचल के पारंपरिक विवाह गीत गाए और समवेत स्वर में आनंद बांटा। इस समारोह में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से आए जोड़े भी शामिल हैं, जिससे यह आयोजन एक राष्ट्रीय उत्सव का रूप लेता है।
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