
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। उदयपुर जिले के खेरवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएचसी में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर (केएमसी) लाउंज स्थापित किया गया है। यह यूनिट मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने वाली एक अभिनव पहल है। इस पहल की कलक्टर नमित मेहता ने 17वें सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रस्तुति दी थी। जिसकी सभी अधिकारियों ने सराहना की थी। Rajasthan first Kangaroo Mother Care Lounge is ready in CHC Kherwara udaipur
कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि खेरवाड़ा आकांक्षी ब्लॉक होने के कारण स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी सूचकों में सुधार के लिए यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। केएमसी लाउंज के मॉडल विकास की पहल अप्रैल 2025 में की गई, जो अगस्त 2025 तक एक इनोवेटिव मॉडल के रूप में स्थापित हे चुका है। जिला परिषद एवं सीएमएचओ द्वारा इसे उदयपुर के हर सीएचसी और पीएचसी में स्थापित करने का आदेश जारी किए गए हैं।
जिला परिषद सीईओ रिया डाबी ने बताया कि इस पहल से नवजात एवं मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम को और मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही एएनसी अवधि में ही उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान कर उन्हें सही देखभाल प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी। इस प्रकार यह पहल आकांक्षी ब्लॉक के मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में योगदान देगी।
कंगारू मदर केयर यूनिट जीरो सपरेशन पॉलिसी पर आधारित है, जिसके अंतर्गत मां और शिशु को अलग न रखकर निरंतर साथ रखने की व्यवस्था की गई है। यह दृष्टिकोण न केवल शिशु के जीवन को सुरक्षित बनाता है, बल्कि प्रसवोत्तर अवधि में माताओं को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।
इस लाउंज में कमजोर वजन अथवा समय से पूर्व जन्में शिशुओं (1800 से 2500 ग्राम तक) को उनकी माताओं के साथ त्वचा से त्वचा संपर्क (स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट) में रखा जाता है। इससे शिशु का तापमान नियंत्रित रहता है और हाइपोथर्मिया से बचाव होता है। शिशु का वजन तेजी से बढ़ता है और स्तनपान की अवधि लंबी होती है। मां और शिशु के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव विकसित होता है। माताओं का अस्पताल में ठहराव बढ़ता है, जिससे जटिलताओं की पहचान और उपचार की संभावना बेहतर होती है।
प्रसव के बाद कमजोर शिशुओं की निरंतर ट्रैकिंग और देखभाल संभव होगी। 1800 से 2500 ग्राम तक के स्थिर नवजात अब खेरवाड़ा सीएचसी पर ही उपचार पा सकेंगे, जिससे दूरस्थ रेफरल की आवश्यकता कम होगी। केवल अत्यधिक कम वजन (1800 ग्राम से कम) या बीमार शिशुओं को ही जिला स्तरीय एसएनसीयू में भेजना होगा। इससे जिला अस्पतालों पर भार कम होगा और रेफरल घटने से बेड ऑक्युपेंसी दर कम होगी और गंभीर शिशुओं पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा। माताएं प्रसव के बाद अधिक समय तक अस्पताल में रहेंगी, जिससे एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग और शिशु के वजन की निरंतर निगरानी सुनिश्चित होगी।
आकांक्षी ब्लॉक में की गई इस पहल की कलक्टर नमित मेहता ने 17वें सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रस्तुति दी थी। इस पर उसे देश भर से आए अधिकारियों तथा विषय विशेषज्ञों ने सराहा था। यूनिट स्थापना के दौरान भी जिला प्रशासन की ओर से लगातार मोनिटरिंग की गई। सीईओ सहित विभागीय अधिकारियों ने समय-समय पर निरीक्षण किए।
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