
लेखक: डॉ. सुबोध अग्रवाल, आईएएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार)
थार के रेगिस्तान और दूर-दूर तक रेत के धोरों के लिए पहचाना जाने वाला राजस्थान आज औद्योगिक निवेश की विपुल संभावनाओं से परिपूर्ण प्रदेश हो गया है। औद्योगिक निवेश के लिए राजस्थान देशी-विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन बन गया है। राजस्थान का भौगोलिक परिदृश्य, जिसे कभी निवेश के लिए बाधा माना जाता था, आज अवसरों का विशाल द्वार खोल रहा है। थार का रेगिस्तान अब केवल रेत का विस्तार नहीं, बल्कि सौर और नवीकरणीय ऊर्जा का वैश्विक केंद्र बन गया है।
प्रदेश हरित विकास का नया अध्याय लिख रहा है तो धरती की गर्भ में छिपी खनिज संपदा राजस्थान में खनन विकास की नई इबारत लिखना शुरु कर दिया है। गत दिसंबर 24 में आयोजित राइजिंग राजस्थान इसका जीता जागता उदाहरण है कि आरआर समिट के दौरान ना केवल देशी विदेशी निवेशकों ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया, अपितु समिट के दौरान 35 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश समझौते हस्ताक्षरित किये हैं। यह आज के बदलते राजस्थान की तस्वीर है।
राज्य की औद्योगिक विकास यात्रा को चार महत्वपूर्ण आयामों में विभाजित कर आसानी से समझा जा सकता है।
राजस्थान निवेशकों की पहली पसंद बनने का बड़ा कारण यह भी है कि राजधानी दिल्ली और अन्य प्रमुख केन्द्रों से कनेक्टिविटी और यहां की कानून व्यवस्था व लोगों का व्यवहार। शांति, सद्भाव और सहजता राजस्थान की पहचान है। मानव संसाधन की सहज उपलब्धता उद्यमियों के लिए और अधिक आसान हो जाती है। कहा जाता है और कुछ हद तक सही भी है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक बार नौकरी या किसी अन्य कारण से रहने के लिए आने वाला फिर यहीं का होकर रह जाता है।
आज देश में नवीकृत उर्जा के उत्पादन में राजस्थान शीर्ष पर है तो अब सोलर के लिए आवश्यक उपकरण तैयार करने वाले उद्योगों को भी राजस्थान में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बालोतरा के पचपदरा में तैयार हो रही हिन्दुस्तान पेट्रोलियम राजस्थान रिफाइनरी शुरु होते ही तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। यहां पर पेट्रोकेमिकल जोन विकसित किया जा रहा है। बाड़मेर जैसलमेर जिसे कभी काले पानी की सजा के रुप में देखा जाता था तेजी से विकसित क्षेत्र होते जा रहे हैं।
लगभग असंभव को संभव बनाते हुए बाड़मेर के विकास को इसी से समझा जा सकता है कि आज राजस्थान में परकेपिटा आय में बाड़मेर शीर्ष स्थान पर आ गया है। बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर से बीकानेर तक तपती धरती आज नवीकृत उर्जा खासतौर से सोलर उर्जा के उत्पादन में राजस्थान शीर्ष पर आ गया है।
35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों में करीब करीब 80% निवेश प्रस्ताव नवीकृत उर्जा क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव है। राज्य सरकार रीको के माध्यम से भूमि भी उपलब्ध कराने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2024 के तहत आकर्षक प्रोत्साहन भी दे रही है। सिंगल विण्डो सिस्टम से निवेशकों के लिए आसानी होने लगी है।
निवेश प्रस्तावों को धरातल पर लाने के प्रति मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और सरकार की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा स्वयं बड़़े प्रस्तावों को धरातल पर लाने के लिए हो रही प्रगति की समीक्षा प्रतिमाह अपने स्तर पर की जा रही है। मुख्य सचिव स्तर पर 200 करोड़ तक के निवेश प्रस्तावों की प्रगति की समीक्षा प्रति सप्ताह की जा रही है तो इससे कम के निवेश प्रस्तावों की समीक्षा नियमित रुप से संबंधित विभागों द्वारा की जा रही है। यह सब राजनीतिक ईच्छा शक्ति से ही संभव हो पा रहा है।
योजनावद्ध प्रयासों से प्रदेश में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। बाड़मेर-जैसलमेर को जहां राजस्थान में काले पानी की सजा से कम नहीं माना जाता था, आज वहीं बाड़मेर प्रदेश में परकेपिटा के हिसाब से शीर्ष पर आ गया है तो वो दिन दूर नहीं जब जैसलमेर सीमेंट के उत्पादन में देश की राजधानी बन जाएगा। बाड़मेर में रिफाइनरी अब आ रही है पर इससे पहले ही वहां आर्थिक दृष्टि से तेजी से विकास हुआ है। इस सबके पीछे एक बड़ा कारण तपती धरती को वरदान में बदलकर नवीकृत उर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने और प्रदेश में खनिजों की विपुल संपदा को एक्सप्लोर करने से संभव हो पाया है।
कोटा में पानी की प्रचुरता के कारण नवीकृत उर्जा को संरक्षित कर उपयोग करने की विपुल संभावनाएं हो गई है, जैसलमेर में सीमेंट ग्रेड लाइम स्टोन के विपुल भण्डार मिलने के साथ ही कच्चे तेल और गैस के भण्डार मिलने से पूरा सिनेरियों ही बदल रहा है। बीकानेर में पोटाश के विपुल भण्डार है तो राजस्थान में यूरेनियम के साथ ही क्रिटिकल मिनरलए गारनेट आदि आदि बहुतायत में है। राजस्थान की धरा के गर्भ में अथाह और विविध प्रकार की खनि संपदा है। सोने-चांदी और लेड जिंक सहित कई मिनरलों में तो राजस्थान शीर्ष पर आ गया है।
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