
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। वेदांता समूह और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने अपनी 59वीं वार्षिक आम बैठक में हिन्दुस्तान जिंक 2ण्0 के अपने दृष्टिकोण को सामने रखा। इस नई योजना के तहत कंपनी खुद को भारत के सबसे बड़े जिंक और सिल्वर निर्माता से एक मल्टी मेटल और भविष्य-केंद्रित उद्यम में बदल रही है। Hindustan Zinc is now moving beyond zinc silver to rare minerals- Priya Agarwal Hebbar
शेयरधारकों को संबोधित करते हुए चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर (Priya Agarwal Hebbar) ने कहा कि हिन्दुस्तान जिंक अब सिर्फ जिंक और सिल्वर से आगे बढ़कर एक मल्टी मेटल कंपनी बन रही है। क्लीन एनर्जी, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग को देखते हुए हम अपनी क्षमताओं और साझेदारियों का विस्तार कर रहे हैं।
हिन्दुस्तान जिंक अब कॉपर, लिथियम, निकल, कोबाल्ट, पोटाश और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खोज में सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। साथ ही कंपनी नियोडिमियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट और जर्मेनियम में भी संभावनाएं तलाश रही है। यह कंपनी भारत की पहली निजी कंपनियों में से एक बन गई है जिसने दुर्लभ मोनजाइट ब्लॉक हासिल किया है।
इस कार्य में तेजी लाने के लिए हिन्दुस्तान जिंक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन के जरिए खोज के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी किए हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और चीन जैसे देशों से विशेषज्ञता ली जा रही है। ये प्रयास भारत के रणनीतिक खनिज पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेंगे और सरकार के क्रिटिकल मिनरल्स रोडमैप के अनुरूप हैं।
चेयरपर्सन ने यह भी बताया कि हिन्दुस्तान जिंक को एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट, निफ्टी नेक्स्ट 50 और निफ्टी 100 सूचकांकों में शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाता है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी ने बाजार पूंजीकरण के आधार पर निफ्टी मेटल इंडेक्स में तीसरा स्थान हासिल किया और निफ्टी 200 इंडेक्स में शीर्ष 10 सबसे बड़े वेल्थ क्रियेटर में से एक बनकर उभरी।
हिन्दुस्तान जिंक आने वाले वर्षों में उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के लिए काम कर रही है, जिसमें राजस्थान के जिंक स्मेल्टर देबारी में 250 किलो टन प्रति वर्ष क्षमता के एक नए एकीकृत रिफाइंड मेटल स्मेल्टर में लगभग 12000 करोड़ का निवेश किया गया है। साथ ही कई स्थानों पर खदानों और मिलों का विस्तार किया जा रहा है। इसमें 3823 करोड़ के निवेश से रामपुरा आगुचा खदानों में भारत की अपनी तरह की पहली टेलिंग्स रीप्रोसेसिंग परियोजना भी शामिल है।
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