एनआरआई वृद्धा के साथ हुई धोखाधड़ी मामले में उदयपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई : प्रताप कंट्री इन तीतरड़ी की 19 बीघा जमीन से जुड़ा मामला
- उदयपुर के रसूखदार भी हैं मामले में आरोपी
उदयपुर,(एआर लाइव न्यूज)। उदयपुर के प्रताप कंट्री इन तीतरड़ी स्थित बेशकीमती जमीन के यूडीए/यूआईटी से फर्जी पट्टे उठाने और फिर फाइनेंस कंपनी/बैंक में इन फर्जी दस्तावेजों की मदद से 75 करोड़ रूपए का लोन लेकर धोखाधड़ी के मामले में सवीना थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी ब्रजेश कंट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर मुंबई निवासी प्रेमल एस पारेख को गिरफ्तार कर लिया है। यूडीए से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उठाए पट्टे और इन पर 75 करोड़ के इस लोन घोटाले की आंच उदयपुर के कई रसूखदारों तक भी पहुंच रही है, जो इस मामले में प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं। यह पूरा मामला एनआरआई मधुलिका सिंह मेवाड़ की प्रताप कंट्री इन तीतरड़ी स्थित 19 बीघा जमीन से संबंधित है। Udaipur police arrest brajesh construction director
सवीना थानाधिकारी अजय सिंह राव ने बताया कि धोखाधड़ी मामले में ब्रजेश कंट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर मुंबई निवासी प्रेमल एस पारेख को गिरफ्तार किया गया है। जनवरी 2025 में प्रताप कंट्री इन, तीतरड़ी निवासी मधुलिका सिंह मेवाड़ ने उनके साथ हुई धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करवायी थी। मामले की जांच एएसआई लाल सिंह कर रहे हैं।
फर्जी दस्तावेज लगाकर यूडीए से पट्टा लिया और फिर यही पट्टा लगाकर 75 करोड़ का लोन पास करवाया
जांच अधिकारी एएसआई लाल सिंह ने बताया कि फर्जी पट्टा संबंधित धोखाधड़ी का मामला है। इसमें मुंबई निवासी ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर प्रेमल पारेख को गिरफ्तार किया गया है। इन्हें मुंबई से लेकर आए हैं। धोखाधड़ी के इस मामले में यूडीए ने भी माना है कि इन्होंने मिथ्या दस्तावेज पेश कर पट्टा प्राप्त किया था, जिसमें यूडीए आयुक्त ने जमीन का पट्टा खारिज किया है। इनके द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर यूडीए से लिए जमीन के पट्टे के दस्तावेज लगाकर एक फाइनेंस कंपनी से 75 करोड़ रूपए का लोन भी पास करवाया गया था। मामले से संबंधित एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसकी जांच कर कंपनी डायरेक्टर प्रेमल पारेख को गिरफ्तार किया है।
घोटाला और फर्जीवाड़ा सामने आया तो यूडीए ने निरस्त किए फर्जी पट्टे
एनआरआई वृद्धा के 13 वर्षों के लंबे कानूनी संघर्ष के बाद उनके द्वारा दर्ज करायी एफआईआर की जब जांच हुई तो तीतरड़ी के 75 करोड़ रूपए के घोटाले का खुलासा हुआ है। यूडीए से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आवंटित हुए पट्टों का खुलासा हुआ, तो यूडीए में भी हड़कंप मच गया। जिसके बाद यूडीए ने जांच कर फर्जीवाड़ा मानते हुए सितंबर 2024 को बेशकीमती जमीन के आवंटित हुए पट्टे निरस्त कर दिए हैं।
यूडीए ने जमीन के पट्टे निरस्त करते हुए स्पष्ट लिखा है कि बृजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा भूमि का पट्टा प्राप्त करने के लिए फर्जी शपथपत्र, फर्जी बंधपत्र और फर्जी भूमि समर्पण पत्र सहित अन्य मिथ्या दस्तावेज प्रस्तुत किए और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आवंटन पत्र और पट्टा प्राप्त किया। सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यूडीए द्वारा उक्त भूखंड के संबंध में जारी पट्टे को निरस्त किया जाता है।
ऐसे किया पूरा घोटाला : उदयपुर के कौन रसूकदार हैं मामले में आरोपी
मेवाड़ राजपरिवार से संबंधित उदयपुर के तीतरड़ी स्थित प्रताप कंट्री इन निवासी मधुलिका सिंह मेवाड़ पुत्री नरेन्द्र सिंह ने जनवरी 2025 को ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर मुंबई निवासी दंपत्ति प्रेमल एस पारेख, इनकी पत्नी नेहा पारेख, कंपनी के सुपरवाईजर अश्विन के इस्लानिया, मुंबई के आसीत सी मेहता, दीवान हाउसिंग फाईनेन्स कम्पनी के कर्मचारीगण एवं दलाल, उदयपुर की एक्मे सर्वोदय ड्रीमवेन्चर और हिरामन डवलपर्स के डायरेक्टर्स, एचडीएल हाउसिंग डवलपमेन्ट कम्पनी के डायरेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवायी थी।
मुधलिका सिंह ने एफआईआर में बताया कि 2008 में ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर प्रेमल पारेख ने पत्नी नेहा और किसी अन्य महिला के नाम से मधुलिका सिंह के पिता नरेन्द्र सिंह से 16 बीघा जमीन डवलपमेंट के लिए लीज पर ली थी। तय हुई लीज राशि ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी से ही अदा होनी थी। इसके बाद ब्रजेश कंपनी के डायरेक्टर दंपत्ति ने लीज पर ली हुई जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर यूडीए में फर्जी शपथपत्र, भूमि समर्पण पत्र और बंध पत्र आदि फर्जी दस्तावेज लगाए और जमीन के पट्टे उठा लिए। Udaipur savina police arrest brajesh construction company director in land fraud and rs 75 crore loan scam
75 करोड़ रूपए की लोन राशि हड़पने के लिए खुद को दिवालिया घोषित किया
कंपनी के डायरेक्टर्स की धोखाधड़ी यहीं नहीं थमी, ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर प्रेमल पारेख और नेहा पारेख ने फर्जी दस्तावेजों से हासिल किए गए तीतरड़ी स्थित जमीन के पट्टों के दस्तावेज दीवान हाउसिंह फाइनेंस कंपनी में लगाकर वहां के दलालों की मिलीभगत से 75 करोड़ रूपए का लोन उठा लिया।
इस लोन राशि को हड़पने के लिए अपने ही एक कर्मचारी की मदद से कुछ लाख रूपए का बकाया बताकर अपनी कंपनी को दिवालिया घोषित कर, इस मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में ले गए। एनसीएलटी में मामला चलने के बावजूद सभी आरोपीगणों ने मिलीभगत कर चेजारा कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ उक्त जमीन पर स्थित आजादी से पहले वर्ष 1942 में बने पुराने हेरिटेज भवन और उसके आस-पास की भूमि का एग्रीमेंट कर लिया।
प्रथमदृष्ट्या आरोपियों की साजिश थी कि NCLT में खुद को दिवालिया घोषित कर ब्रजेश कंस्ट्रक्शन कंपनी और इससे जुड़ी तीतरड़ी स्थित बेशकीमती जमीन औने-पौने दामों में लेकर “उक्त बेशकीमती जमीन और 75 करोड़ रूपए” दोनों हड़प लेते। लेकिन इस दौरान धोखाधड़ी की पीड़ित मधुलिका सिंह को आरोपियों के इस षड्यंत्र की भनक लग गयी और उन्होनें एफआईआर दर्ज करा दी, जिसके बाद घोटाले की परतें खुलती चली गयीं।
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