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जोशीमठ क्षेत्र को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित किया गया

  • आज एनडीएमए और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की टीमें जोशी मठ का करेंगी दौरा
  • पीएम ने की सीएम से बात, 603 इमारतों में दरारें, 68 परिवार स्थानांतरित
  • प्रभावित परिवारों को आवश्यक सहायता राशि दी गयी

उत्तराखंड,(एआर लाइव न्यूज)। उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, यह जानकारी चमोली कलेक्टर हिमांशु खुराना ने दी। कलेक्टर हिमांशु खुराना ने बताया कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की दो टीमें आज जोशीमठ का दौरा करेंगी। joshimath sinking

जोशीमठ में 603 इमारतों में दरारें आयी हैं, जबकि 68 परिवारों को उनके घर धंसने के डर से स्थानांतरित कर दिया गया है। इन सभी परिवारों को आवश्यक घरेलू सामान लेने के लिए आर्थिक सहायता दी गयी है। इसके अलावा प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है।

इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोशीमठ की स्थिति को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से बात की है। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ में भूस्खलन के मद्देनजर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जोशीमठ के हालात की जानकारी ली है और नियमित अपडेट ले रहे हैं। सीएम धामी ने संकट की इस घड़ी में सामूहिक प्रयास का आह्वान किया है।

प्रकृति चेतावनी देती रही, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति चिंताजनक है, यह कभी भी गिर सकता है। इसकी इस स्थिति का कारण एनटीपीसी सुरंग और चार धाम के लिए अन्य निर्माण परियोजनाएं हैं। प्रकृति लगातार चेतावनी देती रही, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस परियोजनाओं को रोका जाना चाहिए और इस स्थिति को प्राकृतिक आपदा के रूप में माना जाना चाहिए। प्रभावित निवासियों को बद्रीनाथ और केदारनाथ की तरह राहत सहायता दी जानी चाहिए।

केन्द्र ने विभिन्न संगठनों की टीम गठित की

जोशीमठ की स्थिति को लेकर रविवार को प्रधान मंत्री कार्यालय के प्रिंसीपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा ने रविवार को जोशीमठ की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। केंद्र ने अध्ययन करने और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए सात विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एनडीएमए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की एक टीम को अध्ययन कर सिफारिशें प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सीमा प्रबंधन सचिव और एनडीएमए के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और जोशीमठ की स्थिति का जायजा लेंगें।

Lucky Jain

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