विमलेश शर्मा, जयपुर, (ARLive news)। मरुभूमि में किसानों के लिए पॉली हाउस वरदान साबित हो रहे है। इन्हीं पॉलिहाउस ने जयपुर-अजमेर हाईवे पर स्थित बसेड़ी छोटे से गांव को मिनी इजरायल जैसा बना दिया है। बसेड़ी में ही देखें तो न्यूनतम लागत पर अच्छी पैदावार के चलते किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है और उनके जीवन का स्तर भी अच्छा हुआ है । यही कारण है कि देश के किसान बड़ी मात्रा में इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
बसेड़ी कृषि पर्यटन स्थल बन गया है, जहां विजिट करने न केवल किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग आ रहे है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी इस हाईटेक खेती के गुर सीखने आ रहे हैं। ताकि फील्ड पोस्टिंग के दौरान वे हाईटेक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर सकें। केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी बसेड़ी आकर किसान रामनारायण के पॉलिहाउस देखने आ चुके हैं।
ऐसे बना बसेड़ी मिनी इजरायल
बसेड़ी गांव के किसान रामनारायण थाकण ने नवाचारों के माध्यम से न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गांव की काया पलट डाली। गुल्लाराम थाकण के सुपुत्र रामनारायण परम्परागत खेती करने वाले किसान थे। दिसंबर 2012 में उन्होंने जब सुना कि सरकार बूंद-बूंद सिंचाई से पॉली हाउस में अधिक पैदावार वाली अत्याधुनिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है, तो वे भी अपने एक साथी कन्हैयालाल के साथ हार्टिकल्चर विभाग जा पहुंचे। उन्होंने पॉली हाउस स्वीकृत करवाया।
पॉलीहाउस बनने के बाद जब रामनारायण ने पहली बार में 67 टन खीरे की उपज ली तो खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने अपने भाइयों, रिश्तेदारों व गांव से परिचितों को बुलाया और उन्हें भी हाईटेक खेती अपनाने की सलाह दी।
बसेड़ी में 150 से अधिक पॉली हाउस
देखते ही देखते अकेले बसेड़ी क्षेत्र में 150 से अधिक पॉली हाउस हो गए। जहां टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, तरबूज, खरबूजा सहित कई प्रकार के फलों व सब्जियों की पैदावार ली जा रही है। 22 पॉलीहाउस तो अकेले रामनारायण की फैमेली के ही हैं। किसान रामनारायण ने अपने खेतों में फार्म पौंड बनवाने के साथ ही सोलर प्लांट लगवा रखे है ताकि बिजली-पानी पर आने वाले खर्च में भी बचत हो सके।
किसान रामनारायण को अपने नवाचारों के चलते राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका हैं। आईसीएआर की तरफ से इनोवेटिव किसान के रुप में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोतम रुपाला के हाथो भी सम्मानित हो चुके हैं।
पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस पॉलीथीन से बना छायाप्रद घर होता है
पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस पॉलीथीन से बना एक रक्षात्मक छायाप्रद घर होता है जो कांच
या पॉलीएथिलीन जैसी पारभासी सामग्री से बना होता है जहाँ पौधों को विकसित किया जाता हैं। इसमें लगे उपकरणों की सहायता से इसके अन्दर ताप, आर्द्रता, प्रकाश आदि को नियन्त्रित किया जाता है। पॉलीहाउस के माध्यम से किसान बिना मौसम की सब्जियां, फूल और फल आदि की अच्छी पैदावार कर सकते हैं।
70 प्रतिशत तक अनुदान सरकार देती है
एक एकड़ में लगभग 35 लाख रुपए की लागत से बनने वाले एक पॉली हाउस के लिए 70 प्रतिशत तक अनुदान सरकार देती हैं। कुछ राज्यों में तो इससे भी अधिक सब्सिडी भी दी जा रही हैं। फ़ार्म पौंड व सोलर प्लांट पर भी सरकार से अनुदान मिलता हैं।



