जिले में फलोत्पादन का 86 प्रतिशत सिर्फ आम
कमलेश शर्मा, उदयपुर/बांसवाड़ा,(ARLive news)। सालभर गर्मियों का इंतजार करने का एक बड़ा कारण आम भी होता है। जाती हुई गर्मियों में फलों के ठेले पर रखा आखिरी आाम भी खुशी देता है। लेकिन राजस्थान और मेवाड़ के ज्यादातर मेंगो लवर्स यह नहीं जानते हैं कि उनके राज्य में बांसवाड़ा एक ऐसा जिला है, जो आम के प्रति उनके प्रेम को और खास बना देता है, क्यों कि बांसवाड़ा में आम की 46 प्रजातियों की बम्पर पैदावार होती है और जो देशभर में मेंगो लवर्स तक पहुंचती है।
जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने बताया कि बांसवाड़ा जिले में परम्परागत रूप से देशी रसीले आम की 18 प्रजातियों के साथ ही देशभर में पाए जाने वाले उन्नत किस्म की 28 प्रजातियों कुल 46 प्रजातियों का उत्पादन होता है। सबसे खास बात है कि आम की 18 स्थानीय प्रजातियां रेशेदार है और इनका उत्पादन सिर्फ दक्षिण राजस्थान में ही होता है। जिले में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट (बांसवाड़ा) पर भी बड़े क्षेत्र में मातृ वृक्ष बगीचे स्थापित हैं, जिसमें देशी व उन्नत विभिन्न किस्म की कुल 46 प्रजातियों की आम किस्मों का संकलन है। यहां पर आम के ग्राफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाये जाते हैं।
जिले में फलोत्पादन का 86 प्रतिशत सिर्फ आम
विभागीय आंकड़ों को देखें तो जिले में आम उत्पादन के क्षेत्र को देखें तो कुल फल उत्पादन क्षेत्र 3 हजार 480 हेक्टेयर में से 3 हजार 115 हेक्टेयर में आम का उत्पादन होता है जो कि कुल फलोत्पादन क्षेत्र का 90 प्रतिशत है। इसी प्रकार फलों के कुल 45 हजार 443 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले सिर्फ आम का उत्पादन 39 हजार 120 मीट्रिक टन है जो कुल फलोत्पादन का 86 प्रतिशत है। इस उत्पादन में स्थानीय स्तर पर छोटे किसानों द्वारा किया जाने वाला उत्पादन शामिल नहीं है।
आम की इन प्रजातियों का होता है बड़े पैमाने पर उत्पादन
जिले के विभिन्न बगीचों में आम की किशन भोग, बोम्बे ग्रीन, बोम्बई, केसर, राजस्थान केसर, फजली, मूलागो, बैगनपाली, जम्बो केसर गुजरात, स्वर्ण रेखा, बंगलौरा, नीलम, चौसा, दशहरी, मनकुर्द, वनराज, हिमसागर, जरदालु, अल्फांजो, बजरंग, राजभोग, मल्लिका, लंगड़ा, आम्रपाली, फेरनाड़ी, तोतापूरी, रामकेला आदि 28 प्रजातियों का तो उत्पादन होता ही है, साथ ही देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों यथा टीमुरवा, आँगनवाला, देवरी के पास वाला, कसलवाला, कुआवाला, आमड़ी, काकरवाला, लाडुआ, हाडली, अनूप, कनेरिया, पीपलवाला, धोलिया, बारामासी, बनेसरा, सागवा, कालिया, मकास आदि प्रजातियों का भी उत्पादन होता है।
इस बार कोरोना के कारण नहीं हो सकता मेंगो फेस्टिवल
इस साल बांसवाड़ा में कोरोना संक्रमण के चलते मेंगो फेस्टिवल नहीं हो सका है। आम की 46 से अधिक प्रजातियों की बंपर पैदावार व उपलब्धता के कारण गत वर्ष जिला प्रशासन, कृषि अनुसंधान केन्द्र और पर्यटन उन्नयन समिति, बांसवाड़ा द्वारा राजस्थान का पहला आम उत्सव 7 से 9 जून, 2019 को आयोजित किया था।



