
उदयपुर,(ARLive news)। राज्य में आज से लॉकडाउन 5 और अनलॉक-1 के नियम भले ही लागू हो गए हों, लेकिन उदयपुर मुख्यमंत्री के आदेशों से अलग ही चला है। उदयपुर में व्यापारियों में मायूसी और अफसोस दोनों हैं, उनके सामने बार-बार यही सवाल आता है कि क्या उदयपुर शहर के व्यापारी उदयपुर के भाजपा का गढ़ होने की सजा भुगत रहे हैं..? आखिर क्यों यहां पर राजस्थान के जयपुर और जोधपुर से भी अलग नियम चल रहे हैं..? आखिर क्यों यहां व्यापारियों के लिए बोलने वाला कोई जनप्रतिनिधि नहीं है..?
राज्य सरकार के आदेश के अनुसार लॉकडाउन 5 और अनलॉक-1 के तहत कंटेनमेंट जोन, बफर जोन और कर्फ्यू क्षेत्र का रीव्यू कर इन्हें सीमित किया गया है, इसका असर जयपुर और जोधपुर में आज से दिखायी दिया। जयपुर में आज रामगंज से सटा जौहरी बाजार सहित परकोटे के बाजार खुले और व्यापारियों ने अपनी दुकानें खोलकर जिंदगी को सामान्य करने का प्रयास किया। जबकि पिछले दिनों जयपुर का यह एरिया कोरोना संक्रमण का होट स्पॉट था। ऐसा ही जोधपुर में भी दिखायी दिया। जोधपुर में सबसे ज्यादा केस सर्किल सेंट्रल में थे, यह जोधपुर परकोटे का ही हिस्सा है। यहां भी कंटेनमेंट जोन, कर्फ्यू क्षेत्र को सीमित किया गया। जिसकी बदौलत सर्किल सेंट्रल क्षेत्र में आज बाजार खुले। व्यापारियों ने दुकानें खोलीं, यहां दौरा करने जोधपुर शहर विधायक आए तो व्यापारियों ने फूल-मालाओं से इनका स्वागत किया और इन्हें धन्यवाद दिया।
लेकिन उदयपुर में सूरजपोल और घंटाघर थाना क्षेत्र कंटेनमेंट जोन में होने के कारण न तो बापू बाजार खुल सके, न मालदास स्ट्रीट और न ही सर्राफा बाजार खुला। यहां प्रशासन की दौहरी नीति व्यापारियों में मायूसी का कारण बन रही है। एक तरफ तो प्रशासन दावा कर रहा है कि उदयपुर में रिकवरी रेट 76 प्रतिशत है। सीएमएचओ दिनेश खराड़ी ने बताया कि उदयपुर में 562 में 419 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। बाकि जो संक्रमित हैं, उनमें भी प्रवासी ज्यादा है। इसके बावजूद उदयपुर शहर में न तो बापू बाजार खोलने के आदेश हुए, न ही सर्राफा बाजार और न ही मालदास स्ट्रीट। प्रशासन ने कल जारी हुए राज्य सरकार के आदेश के बावजूद कंटेनमेंट जोन का दोबारा रीव्यू नहीं किया है। जिसके कारण अभी भी पूरा सूरजपोल और घंटाघर थाना क्षेत्र कंटेनमेंट जोन है।
जबकि शनिवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स उदयपुर के अध्यक्ष पारस सिंघवी के साथ व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल ने एडीएम सिटी संजय कुमार के साथ बैठक की थी। पारस सिंघवी ने बताया कि हमें एडीएम की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि सोमवार तक बापू बाजार और सर्राफा बाजार खोलने के आदेश करवा देंगे। लेकिन प्रशासन ने सोमवार निकलने के बाद भी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। बाजार खोलने के आदेश तो दूर राज्य सरकार के आदेश के 24 घंटे बाद भी उदयपुर में नाइट कर्फ्यू शाम 7 बजे से ही लागू रहा। जब मीडिया ने सवाल किए तो प्रशासन ने आज रात 8 बजे आनन-फानन में आदेश जारी किया।
व्यापारियों और कई राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि उदयपुर के व्यापारी उदयपुर शहर के भाजपा का गढ़ होने की सजा भुगत रहे हैं। क्यों कि यहां के शहर विधायक गुलाब चंद कटारिया ने कई आरोप-प्रत्यारोप के बयान तो जारी किए, लेकिन उनको जिताने वाले व्यापारियों के साथ अब तक वे एक बार भी खड़े नही दिखायी दिए हैं। उन्होंने एक बार भी प्रशासन से इस संबंध में बात नहीं की है कि आखिर क्यों बाजार खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वहीं कांग्रेस में तो यहां कोई मजबूत नेतृत्व कभी दिखायी ही नहीं देता है। अक्सर कांग्रेस नेता घर से बस ज्ञापन जारी कर देते हैं, व्यापारियों के साथ खड़े नहीं दिखायी देते।
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