
लकी जैन,(ARLive news)। उदयपुर के एमबी हॉस्पिटल की कोरोना टेस्ट लैब पर जांच की संख्या का दबाव अधिक और क्षमता कम होने से अब रिपोर्ट आने में 3 से 4 दिन तक लग रहे हैं। इसका खामियाजा सैंपल देने वाले व्यक्ति को मानसिक वेदना झेल कर भुगतना पड़ रहा है और सबसे ज्यादा असर गर्भवति महिलाएं और डायलिसिस पेशेंट पर पड़ रहा है।
जबकि उदयपुर राजस्थान का एकलौता ऐसा जिला है जहां 6 मेडिकल कॉलेज हैं। ऐसे में अब उदयपुर के निजी अस्पताल या लैब को भी कोरोना टेस्ट की अनुमति देने की जरूरत हो गयी है। यह इसलिए भी संभव है कि सरकार जयपुर में दुर्लभजी, महात्मा गांधी, जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी और बिलाल लेबोरेट्री को कोरोना टेस्ट के लिए अनुमति दे चुकी है। जब जयपुर में परमीशन दी जा सकती है, तो उदयपुर का कोई हॉस्पिटल या लैब कोरोना टेस्ट के मानकों को पूरा कर टेस्ट की अनुमति मांगता है तो उसे अनुमति दी जानी चाहिए।
उदयपुर में जरूरत के अनुसार कोरोना टेस्ट नहीं हो पाने के कारण काफी सैंपल पेंडिंग हो गए थे। राजसमंद के आरके हॉस्पिटल में भी कोरोना टेस्ट की सुविधा नहीं होने से वहां के सैंपल भी उदयपुर एमबी हॉस्पिटल ही आ रहे हैं। ज्यादा सैंपल पेंडिग होने से 28 मई को उदयपुर और राजसमंद के कुल 1035 कोरोना सैंपल आरएनटी मेडिकल कॉलेज से जयपुर भेजे गए हैं। जिनकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है। जब रिपोर्ट ही नहीं आयी है तो इनका उपचार भी अभी तक नहीं शुरू हो पाया है।
गत दिनों राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी ने भी यह मुद्दा उठाया था कि कोरोना सैंपल की रिपोर्ट आने में 3 से 4 दिन लग रहे हैं और इससे मरीज को काफी मानसिक वेदना झेलनी पड़ती है और जो पॉजिटिव होता है, उसका इलाज भी समय से शुरू नहीं हो पा रहा है।
उदयपुर के एमबी हॉस्पिटल में 1 हजार सैंपल एक दिन में टेस्ट करने की क्षमता है। लेकिन गत दिनों लैब के एक स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरी एक शिफ्ट के पूरे स्टाफ को क्वॉरंटीन होना पड़ा। इससे कार्य क्षमता आधे से कम रह गयी है। अब जैसे-जैसे लॉकडाउन खुल रहा है, तो कोरोना सैंपल की संख्या भी बढ़ेगी, ऐसे में एमबी हॉस्पिटल की एक लैब से जांच समय पर कर पाना काफी मुश्किल होता जाएगा।
एमबी हॉस्पिटल के अन्य विभागों में भी स्टाफ, डॉक्टर के कोरोना संक्रमित होने के बाद अब सक्षम परिवार घर में गर्भवति महिला की डिलीवरी निजी अस्पतालों में करवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यहां समस्या यह है कि किसी भी निजी अस्पताल या लैब को कोरोना टेस्ट की अनुमति नहीं है और निजी अस्पतालों से भेजे गए सैंपल एमबी हॉस्पिटल में नहीं लिए जा रहे हैं। इस कारण से 9 महीने की गर्भवति महिला को डिलीवरी से 4-5 दिन पहले कोरोना का सैंपल देने एमबी हॉस्पिटल जाना पड़ रहा है। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसकी निजी हॉस्पिटल में डिलीवरी हो पाती है। इससे गर्भवति महिला को काफी मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ रहा है। यही हाल डायलिसिस पेशेंट का भी है।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की डॉक्टर राजरानी बताती हैं कि पिछले दिनों इमरजेंसी में डॉक्टर और स्टाफ ने एक पेशेंट को ट्रीट किया था। वो बाद में कोरोना पॉजिटिव निकला। ऐसे में हॉस्पिटल के 6 से 7 स्टाफ को क्वॉरंटीन करना पड़ गया। ऐसे में सभी प्लांड सर्जरी में हमने गर्भवति महिलाओं को मैसेज किया हुआ है कि डिलीवरी की तारीख से 3-4 दिन पहले एमबी हॉस्पिटल जाकर कोरोना टेस्ट करवा लें। यह व्यवस्था अमूमन सभी निजी अस्पतालों में है।
अर्थ डायग्नोस्टिक के सीईओ व सीएमडी डॉ. अरविंदर सिंह ने बताया कि हमारी लैब सहित उदयपुर के निजी मेडिकल कॉलेज में कोरोना टेस्ट के मानकों को पूरा करती मशीन है। लेकिन अभी तक यहां कोरोना टेस्ट की परमीशन किसी निजी लैब या हॉस्पिटल को नहीं मिली है। इसके लिए निजी अस्पतालों के प्रबंधन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और राज्य सरकार में आवेदन किया हुआ है।
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