उदयपुर,(ARLive news)। शहरों में काम करने वाले ग्रामीण तो अपने गांव लौट कर अब मनरेगा से जुड़ रहे हें। सिर्फ उदयपुर में 28 मई तक 2 लाख 14 हजार श्रमिक मनरेगा में उपस्थित रहे है। यह आंकड़ा गत वर्ष से 64 हजार श्रमिक ज्यादा है। लेकिन सवाल बार-बार यही आता है कि सरकारों के पास लाखों की संख्या में बेरोजगार हुए शहरी व्यक्ति के लिए क्या है।
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बार-बार निवेदन करने के बाद भी अगर केन्द्र सरकार बेरोजगार हुए शहर के व्यक्ति के लिए कोई योजना नहीं ला पाई है, तो राज्य सरकार खुद कोई मॉडल क्यों नहीं तैयार कर रही है..? राज्य सरकार खुद आगे आकर शहरी बेरोजगार हुए लोगों के लिए कुछ करे, तो हो सकता है कि अन्य कुछ कदमों की तरह इस कदम को भी केन्द्र सरकार को अपनाना पड़े..!
जिले की सभी ग्राम पंचायतों में श्रमिक नियोजित
इधर मनरेगा को लेकर कलेक्टर आनंदी ने बताया कि जिले में श्रमिकों की रिकार्ड उपस्थिति दर्ज की गई है। जिसके तहत गुरुवार (28 मई) को जिले में 2 लाख 14 हजार 451 श्रमिक 13 हजार 232 कार्यों पर नियोजित किये गये है। आज जिले की समस्त ग्राम पंचायतों में श्रमिक नियोजित है एवं शून्य नियोजन वाली कोई ग्राम पंचायत नहीं है। जबकि गत वर्ष माह मई में 1 लाख 50 हजार 759 श्रमिक नियोजित थे।
सवा पांच लाख है जॉबकार्डधारी परिवार
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमर चौधरी ने बताया कि जिले में वर्तमान में कुल प्रगतिरत कार्यों की संख्या 72 हजार 245 मे से व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी के तहत 63 हजार 923 कार्य प्रगतिरत है। जो कि कुल कार्यों का लगभग 88 प्रतिशत है। व्यक्तिगत लाभ के तहत प्रधानमंत्री आवास, केटल/गोट शेड, वर्मिकम्पोस्ट, भूमि समतलीकरण एवं टांका निर्माण आदि कार्य कराए जा रहे है।
चौधरी ने बताया कि जिले में जॉबकार्डधारी परिवारों की संख्या 5.25 लाख है जिसमें से एक्टीव जॉबकार्ड 3.46 लाख है एवं एक्टीव श्रमिकों की संख्या 5.51 लाख है। उदयपुर जिले द्वारा वर्ष 2019-20 में 144.54 लाख मानवदिवसों का सृजन किया गया जो कि विगत 10 वर्षों में सर्वाधिक है। इसके लिए पंचायत वार श्रमिक नियोजन को जिला स्तर से मॉनिटरिंग एवं प्रपत्र 6 की निर्धारित स्थान पर उपलब्ध सुनिश्चित की गई।



