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साउथ अफ्रीकन क्रिकेटर रॉड्स ने शिल्पग्राम उत्सव में ऐसा क्या चखा कि कह उठे “वाह क्या स्वाद”

हाट बाजार में लाइव शिल्प प्रदर्शन : पर्यटकों ने लाख की चूड़ी, बुनकरी, पंजा दरी और कागज़ बनते देखी।

उदयपुर,(ARlive news)। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में एक ओर जहां शिल्प और कलात्मक वस्तुओं की खरीद फरोख्त चल रही है वहीं हाट बाजार कुछ शिल्पकार ऐसे बुलाये गये है जो अपनी शिल्प के सृजन के तरीके का जीवंत प्रदर्शन कर रहे हैं।

साउथ अफ्रीकन क्रिकेट टीम के जांबाज़ फील्डर रहे जॉन्टी रॉड्स सोमवार को सपरिवार शिल्पग्राम आये और उत्सव के हाट बाजार में शिल्प व कलात्मक वस्तुओं को रूचिपूर्वक देखा।

जॉन्टी रॉड्स शिल्पग्राम हाट बाजार में घूम कर शिल्प कलाओं का जायजा लेने के साथ-साथ खरीददारी की। रॉड्स बच्चों ने जहां खिलौने खरीदे वहीं उन्होंने परिवार के साथ तिल की जगल, लखनवी मक्खन, चाय का स्वाद चखा।

शौर्य से भरपूर पाईका और खुशियों के बधाई नृत्य ने रंग जमाया

‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ के चौथे दिन मुक्ताकाशी मंच पर झारखण्ड का पाईका नृत्य व मध्यप्रदेश के बधाई नृत्य ने समां बांध दिया।

मुक्ताकशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर शाम को जमने वाली लोक संस्कृति की महफिल का पहला चिराग गुजरात के बेड़ा रास की प्रस्तुति के साथ जला। गुजरात के इस पारंपरिक नृत्य में नृत्यांगनाएँ अपने सिर पर बेड़ा जिसमें काफी संख्या में धातु के पात्र होते हैं, रख कर ढोल और सरनाई की लय पर धीरे-धीरे नृत्य करती हैं। इस प्रस्तुति ने गुजरात की अनूठी सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाया। कार्यक्रम में इसके बाद लंगा कलाकारों ने राजस्थानी लोक गीतों की तान छेड़ कर दर्शकों में उत्साह का संचार किया।

शिल्पग्राम उत्सव में झारखण्ड से कला प्रस्तुति देने आये ‘‘पाईका’’ नृत्य में युद्ध कौशल देखने को मिला। वहां बसने वाली मुण्डा, हो, उराव तथा सभी प्रकार की जातियों द्वारा युद्ध कला से जुड़ा यह नृत्य किया जाता है। जिसमें नर्तक रंगबिरंगी पोशाक धारण कर ढाक, नगाड़ा, शहनाई तथा मदनभेरी लय पर हाथ में ढाल तलवार ले कर नृत्य किया तो दर्शकों में जोश भर आया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश का बधाई नृत्य वहां की उत्सवी परंपरा का वाहक बन सका।

कार्यक्रम में गोटीपुवा कलाकारों का नर्तन, छत्तीसगढ़ के गौंड आदिवासियों का गौंड मारिया, महाराष्ट्र का रोप मल्लखम्भ, उत्तर प्रदेश का डेडिया नृत्य प्रमुख उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ रही।

खूब की खरीददारी

पर्यटकों ने सालावास जोधपुर के दरी बुनकर को लूम पर रंगबिरंगे धागों से पंजा दरी को बुनते, गुजरात के कच्छ अंचल के शॉल बुनकर को पुश्तैनी कला का प्रदर्शन करते हुए देखा।

बुजुर्ग शिल्पकार का कहना है कि उनके बनाये कागज कई सालों तक टिकने वाले होते हैं। हाट बाजार में चूड़ीगर, काष्ठ शिल्प, मृण शिल्प और खुरजा पॉटरी के शिल्पियों के बनाये कलात्मक नमूने आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।

हाट बाजार में सोमवार को कलात्मक वस्तुओं की खरीददारी का सिलसिला चल पड़ा तथा लोगों ने विभिन्न शिल्प क्षेत्रों में खरीददारी के साथ मेले का भरपूर मजा लिया व लोक कलाकारों, बहुरूपिया कलाकारों, पारंपरिक बैण्ड वादकों के साथ हंसी ठिठोली की।

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