मुम्बई,(ARlive news) लकी जैन। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में शुक्रवार का दिन बेहद गहमागहमी भरा रहा। सुबह 11बजे तक सभी 22 आरोपियों सहित सभी के वकील और कई मीडिया हाउस के रिपोर्टर से कोर्ट खचाखच भर गया था। Sohrabuddin-tulsi encounter case cbi special court verdict
जज एसजे शर्मा ने सुबह करीब 12 बजे फैसला सुनाना शुरू किया। जज ने कहा मुझे मृतकों के परिवार वालों के लिए दुख है, मरने वाले किसी के बेटे, भाई थे, लेकिन अभियोजन पक्ष इन 22 आरोपियों पर लगाए आरोप साबित करने में असफल साबित हुआ है, इसलिए इन सभी 22 आरोपियों को बरी किया जाता है। जज ने फैंसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से 210 गवाह के बयान हुए है, लेकिन इन गवाहों और साक्ष्य इन 22 आरोपियों पर षड्यंत्र करने और तीनों को मारने के आरोप साबित नहीं कर पाए।
अभियोजन पक्ष ने केस में जो फाउंडर विटनेस पेश किए थे, वे होस्टाइल हो गए
- जज ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष ने केस में जो फाउंडर विटनेस पेश किए थे, वे होस्टाइल हो गए। परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी आरोप साबित नहीं कर पाए।
- अभियोजन पक्ष ने कहा कि सोहराबुद्दीन और कौसरबी के अपहरण के समय उनके साथ मौजूद तीसरा कौन था, यह पहली चार्जशीट में कहीं भी स्पष्ट नहीं है। बाद में अभियोजन पक्ष ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश कर यह बताया कि वह तीसरा आदमी तुलसी था, लेकिन गवाहों और साक्ष्यों की मदद से इस तथ्य को साबित नही कर पाया अभियोजन पक्ष।
- वहीं तुलसी के लिए बचाव पक्ष की स्टोरी कि तुलसी अहमदाबाद से उदयपुर लाते समय पुलिस कस्टडी से भगा था, इसकी रिपोर्ट भी सम्बबंधित थाने मेंं हुई थी, ट्रैन गार्ड, ट्रैन ड्राइवर, जीआरपी के जवान के बयानों से अभियोजन पक्ष के बजाए बचाव पक्ष की बताई कहानी साबित हुई।
- अगले दिन तुलसी पुलिस को दिखा और उसे पुलिस ने रोकने का प्रयास किया, उसके नही रुकने और पुलिस पर उसके गोली चलाने पर पुलिस ने उस पर गोली चलाई और वह मारा गया।
मेरे सामने खड़े इन 22आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला- जज एसजे शर्मा
अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूशन) ने आरोप लगाया कि डीजी बंजारा ने सुनियोजित तरीके से आशीष पण्डिया की छुट्टी निरस्त कर उससे एनकाउंटर के लिए बुलाया था। लेकिन अभियोजन पक्ष बंजारा और पांडिया के बीच हुई बातचीत को साबित नहीं कर सका।
प्रॉसिक्यूशन यह भी साबित नही कर सका कि तुलसी को राजस्थान टीम ने सोहराबुद्दीन-कौसरबी के अपहरण के समय पकड़ा था, क्यों कि तुलसी के मकान मालिक ने बयान दिए कि तुलसी वहां भीलवाड़ा में 15 दिन से रह रहा था और पुलिस ने इसे 29 नवम्बर को गिरफ्तार किया था। मेरे सामने खड़े इन 22आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला।
अभियोजन एनकाउंटर में आरोपियों की भूमिका साबित नहीं कर पाया
अभियोजन पक्ष के गवाह नाथू बा जडेजा और भाई लाल राठौड़ के बयानों में यह कहीं स्पष्ट नहीं हुआ कि राजस्थान इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान, एसआई श्याम सिंह, हिमांशु सिंह और गुजरात के इंस्पेक्टर एनएच डाबी, बीके चौबे और वीके राठौड़ ने एनकाउंटर किया। अभियोजन पक्ष ने एनकाउंटर में उपयोग हथियार सीज किये लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि ये हथियार इन आरोपियों ने उपयोग किये थे।
अर्हम फार्म हाउस के मालिक राजूजीरावाला के लिए कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ये साबित नहीं कर सका कि इनके फार्म हाउस पर उन्हें रखा था।
यह मेरा लास्ट जजमेंट है
जज 31 दिसम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं। जज ने फैंसला सुनाते हुए कहा कि यह मेरे कार्यकाल का आखिरी फैंसला है। मुझे दुख है मृतकों के परिवार के लिए, लेकिन इन 22 आरोपियों पर लगे आरोप साबित नहीं होने से इन सभी को बरी किया जाता है।
ये है वो 22 आरोपी जो ट्रायल फेस कर बरी हुए
गुजरात के इंसपेक्टर एमएल परमार, एनएच डाबी, एसआई बीके चौबे, राजस्थान इंसपेक्टर अब्दुल रहमान, एसआई श्याम सिंह, हिमांशु सिंह, गुजरात कांस्टेबल अजय परमार, संतराम, इंस्पेक्टर नरेश वी चौहान, वीके राठौड़, आंध्र प्रदेश इंस्पेक्टर जी श्रीनिवास राव, गुजरात एसआई आशीष पांडिया, राजस्थान एएसआई नारायण सिंह चौहान, कांस्टेबल युद्धवीर सिंह, करतार सिंह, गुजरात कांस्टेबल जेठूसिंह सोलंकी, कांजी भाई खींची, विनोद कुमार लिम्बचिया, करन सिंह सिसोदिया, अर्हम फार्म हाउस मालिक राजू जीरावाला और गुजरात सीआईडी के तत्कालीन डीएसपी रमन पटेल।
गौरतलब है कि इन सभी के वो पद लिखे है जो एनकाउंटर के समय थे। गुजरात पुलिस कर्मियों में कुछ सेवा निवृत्त हो चुके है और अधिकतर के प्रमोशन हो चुके है। इस केस के कारण राजस्थान पुलिस टीम में को पदोन्नति नही मिली थी। वे आज भी उसी पद पर है, जिस पर 13 साल पहले थे।



