
इस फैसले के साथ राजस्थान पुलिस टीम के इंपेक्टर अब्दुल रहमान, एसआई हिमांशु सिंह, श्याम सिंह, एएसआई नारायण सिंह, कॉन्स्टेबल युद्धवीर, करतार को भी बरी कर दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि इन 22 के खिलाफ अभियोजन पक्ष की ओर से जो आरोप लगाए गए थे वो कोर्ट में साबित नहीं हो सके। अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए साक्ष्यों और गवाहों से साबित नहीं हो सका कि मेरे सामने जो 22 आरोपी है वे इस बड़ी षड्यंत्र में शामिल थे। सभी साक्ष्यों को देखते हुए इन सभी 22 को बरी किया जाता है।
इन्स्पेक्टर अब्दुल रहमान ने सभी 22 आरोपियों की ओर से कहा कि सोहराबुद्दीन-तुलसी केस, जिसमें बेगुनाह होते हुए भी हम पिछले 13 साल से न सिर्फ संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि 7 साल 5 महीने 26 दिन गुजरात के साबरमती जेल और महाराष्ट्र के तलोजा जेल में काटे हैं। यह केस हमारे देश की एजेंसियों का किस हद तक आपराधिक दुरुपयोग हो रहा है, इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। इससे हमें सबक लेना चाहिए। जिसमें शुरू से ही हर एजेंसी ने न तो देश हित मे काम किया न ही न्याय हित में काम किया, बल्कि अपने एजेंडे के अनुसार काम किया। मैं न्यायालय का आभारी हूं जिन्होंने हमारे पक्ष को भी सुना और न्याय हित में आज ये फैंसला दिया।
सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने कहा कि हम हाई कोर्ट अपील के लिए जाएंगे, अगर सुनवाई निष्पक्ष हुई।



