सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में मंगलवार को मुंबई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अनुसंधान अधिकारी रहे सीआईडी गुजरात के इंस्पेक्टर एनके बारोट के बयान हुए। बारोट ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने 2007 में साजन नागाभाई मेर और मालदे नाथा भाई के बयान लिए थे। इन्होंने बयानों में जो बताया था, मैंने वही रिकाॅर्ड में लिया था और उस समय सीआईडी के डीएसपी पडेरिया को रिपोर्ट बनाकर दी थी।
बारोट ने कोर्ट को बताया कि प्रेमजी भाई की कंपनी में साजन सिंह डाइवर और मालदे भाई कर्मचारी थे। इन्होंने बयानों में बताया था कि 18 नवंबर 2005 से 23 नवंबर 2005 तक क्वालिस कार पांडियन साहब को दी गई थी और कंपनी मालिक प्रेमजी भाई के बंगले पर नहीं रही थी। 23 नवंबर को कार मालिक के बंगले पर वापस छोड़ दी गई और साजन ने ही कार को सर्विस के लिए शोरूम पर दिया था, तब इसकी नंबर प्लेट टूटी हुई थी। तब साजन ने इसकी नई नंबर प्लेट बनवाई थी और इसका 700 रूपए का बिल भी बना था। बारोट ने कोर्ट को बताया कि दोनों गवाहों ने जो बयान दिए थे, उनका सार यही था और इसकी एक रिपोर्ट बनाकर मैंने सीआईडी के डीएसपी पडेरिया को दी थी।
क्राॅस में बचाव पक्ष के वकील ने साजन सिंह और मालदे के ट्रायल शुरू होने के बाद हुए बयान बताए, जिसके आधार पर ये दोनों होस्टाइल हुए हैं। वकील ने ट्रायल के दौरान हुई साजन सिंह और मालदे के बयानों को आधार बनाते हुए बारोट से कहा कि बयान देने ये आपके पास कभी नहीं आए, आपने कभी भी इनके बयान नहीं लिए थे और आपने जो बयान लिखे हैं वह विभाग के कहने पर खुद अपनी मर्जी से गलत तथ्यों के आधार पर लिखे थे, इन दोनों ने ये बयान आपको कभी दिए ही नहीं थे। इस पर बारोट ने कोर्ट में कहा कि मुझे दोनों गवाहों ने क्वालिस गाड़ी से संबंधित जो बयान दिए थे, मैंने वही लिखे थे।
गीता जौहरी से संबंधित होने के कारण कोर्ट प्रक्रिया में नहीं लिए बयान
कोर्ट में गवाह बारोट ने बयानों में यह भी बताना चाहा कि वे तत्कालीन आईजी गीता जौहरी के असिस्टेंट रहे थे और उन्होंने इस केस में एक गवाह के सीआरपीसी की धारा 164 के बयान भी करवाए थे। बारोट जो बताना चाह रहे थे वे गीता जौहरी से संबंधित थे। चूंकि वे इस केस से बरी हो चुकी हैं, ऐसे में बारोट के गीता जौहरी से संबंधित बयान कोर्ट प्रक्रिया में नहीं लिए गए।