पूर्व में एसआई हिमांशु सिंह और श्याम सिंह की डिस्चार्ज एप्लीकेशन हाईकोर्ट से हो चुकी है खारिज।
सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में शुक्रवार को बरी हो चुके आईपीएस राजकुमार पांडियन के गनमैन संतराम और रीडर अजय परमार की डिस्चार्ज एप्लीकेशन पर मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। हाईकोर्ट इनकी डिस्चार्ज एप्लीकेशन पर कोई फैसला देती, इससे पहले ही इनके वकीलों ने एप्लीकेशन ही वापस ले ली। इधर शुक्रवार को सेशन कोर्ट में भी तुलसी एनकाउंटर सीन रीक्रिएशन के एफएसएल साइंटिस्ट राजेन्द्र सिंह के बयान हुए।
गुजरात कांस्टेबल अजय और संतराम ने मामले से बरी कर देने की याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। इनकी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। सीबीआई के पीपी ने तर्क रखा कि अजय और संतराम दोनों ही सेशन कोर्ट में इन दोनों एनकाउंटर की ट्रायल भुगत रहे हैं। ट्रायल में करीब-करीब सभी गवाह हो चुके हैं और अब तो अनुसंधान अधिकारियों के बयान भी शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि 4 जुुलाई को हाईकोर्ट ने आरोपी पक्ष के एसआई हिमांशु सिंह और श्याम सिंह की बरी कर देने की याचिका को सीबीआई पीपी के इसी तर्क के आधार पर खारिज किया था कि मामले में आधे से ज्यादा गवाह हो चुके हैं और दोनों ट्रायल भुगत रहे हैं। अब तो ट्रायल में करीब-करीब सभी गवाहों के बयान हो चुके हैं। शुक्रवार को हाईकोर्ट में अजय और संतराम की याचिका के भी खारिज होने की संभावना थी। याचिका खारिज होने के डर से इनके वकीलों ने याचिका वापस ले ली।
गौरतलब है कि अजय और संतराम के अधिकारी राजकुमार पांडियन सेशन कोर्ट से बरी हो चुके हैं। पांडियन सहित आईपीएस दिनेश एमएन और डीजी बंजारा के बरी होने के आदेश के खिलाफ सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। गत महीने इस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
सेशन कोर्ट में साइंटिस्ट ने कहा समय और लोकेशन बदलने से एफएसएल रिजल्ट बदल जाते हैं
शुक्रवार को मुंबई सीबीआई स्पेशल कोर्ट में सीएफएसएल, दिल्ली के सेवानिवृत डायरेक्टर साइंटिस्ट राजेन्द्र सिंह के बयान हुए। तुलसी एनकाउंटर के रीक्रिएशन के दौरान साइंटिस्ट राजेन्द्र सिंह ने एफएसएल जांच की थी।साइंटिस्ट ने कोर्ट को बताया कि 9 जुलाई 2011 सुबह साढ़े छह बजे विशेषज्ञों की टीम मुख्य अनुसंधान अधिकारी राजू के बताए अनुसार उस स्थान पर पहुंची थी, जहां तुलसी एनकाउंटर का रीक्रिएशन किया जा रहा था। मुख्य अनुसंधान अधिकारी के बताए अनुसार ही वाहनों को खड़ा किया गया और मौके की फोटो के अनुसार पुलिस, आरोपी सहित अन्य चीजों के बीच दूरी रखी गई थी। साइंटिस्ट ने कोर्ट को यह भी स्पष्ट बताया कि एफआईआर में बताए समय, स्थान, वाहनों और लोगों के खड़े होने की लोकेशन और मौके की फोटोे से सीन रीक्रिएशन के दौरान मामूली अंतर भी रह जाता है तो एफएसएल रिपोर्ट के परिणामों में बदलाव आ जाएगा। गौरतलब है कि सीबीआई-चार्जशीट में शामिल तुलसी एनकाउंटर की एफआईआर और रीक्रिएशन के समय में करीब एक घंटे का अंतर था। सीएफएसएल रिपोर्ट में साइंटिस्ट ने एनकाउंटर के रीक्रिएशन के हर तकनीकी पहलू पर वैज्ञानिक राय दी है।
जिन परिस्थितियों में तुलसी ट्रेन से भागा था, वह संभव हैं
साइंटिस्ट ने कोर्ट को बताया कि तुलसी के साथियों की मदद से ट्रेन से भागने की जो परिस्थितियां बताई गईं, वे संभव हैं। यह भी संभव है कि देशी पिस्टल से किया हुआ फायर ट्रेन की छत में छेद कर दे। साथ ही जिस तरह से मिर्च पाउडर तुलसी के साथियों ने उड़ाया था, वह संभव है, क्यों कि यह परिस्थिति उस व्यक्ति के आंखों में जलन पैदा कर सकता है, जिस पर पाउडर फेंका गया हो।
बयान देने नहीं पहुंचे अनुसंधान अधिकारी
कोर्ट में 6 सितंबर से दोनों एनकाउंटर से संबंधित रहे अनुसंधान अधिकारियों के बयान शुरू होने थे। गुरुवार को वीएल सोलंकी सहित दो अनुसंधान अधिकारी और शुक्रवार को भी एक अनुसंधान अधिकारी के बयान होने थे। लेकिन दोनों ही दिन एक भी अनुसंधान अधिकारी बयान देने कोर्ट नहीं पहुंचा।