सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में कई पेशियां चूकने के बाद सोमवार को तुलसी का भांजा कुंदन बयान देने पहुंचा। कुंदन प्रजापति ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने मेरे मामा तुलसी को फर्जी मुठभेड़ में मारा था, क्यों कि वह सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी के केेेस का चश्मदीद गवाह थे। मामा तुलसी ने जेल में रहते हुए मुझे इस बात का अंदेशा जताया था कि चश्मदीद गवाह होने के कारण पुलिस उन्हें भी मार सकती है, उन्होंने इस संबंध में कई जगह एप्लीकेशन भेजी थीं।
कुंदन ने बयानों में तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन सहित उदयपुर टीम का नाम लिया। ऐसे में कुंदन के बयान मामले में बरी हो चुके दिनेश एमएन सहित उदयपुर टीम के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।
पुलिस ने 25 दिन अवैध हिरासत में रखा था
कुंदन ने कोर्ट में बयान दिए कि तुलसी उसका बड़ा मामा था। तुलसी उदयपुर के हामिदलाल हत्याकांड में जेल में बंद था। तब वह उससे कई बार मिलने उदयपुर आया था और उज्जैन जब मामा को पेशी पर लाते थे, तब नानी नर्मदा देवी के साथ मिलने गया था।हामिदलाला हत्याकांड में मामा तुलसी के साथी आजम और बंटी के अलावा उनके किसी दोस्त को नहीं जानता हूं। मैं मेरे दोस्त विमल के साथ मामा से मिलने उदयपुर सेंट्रल जेल गया था, तो मामा ने रेलवे स्टेशन मिलने आने को कहा था। हम रेलवे स्टेशन गए तो मामा वहां डिब्बे में बैठे थे, उनके साथ आजम भी था। मामा ने कहा था कि टिकट लेकर दूसरे डिब्बे में बैठ जाओ और साथ चलो। मैं मेरे दोस्त के साथ बुकिंग काउंटर पर टिकट लेने गया तो पुलिस ने हमें पकड़ लिया था।
कुंदन ने आगे को कोर्ट को बताया कि भूपालपुरा, सूरजपोल, सलूंबर, सराड़ा और इसवाल चौकी सहित अलग-अलग थानाें 25 दिन अवैध हिरासत में रखा। एसपी दिनेश एमएन ने कहा था कि तुम यहां क्यों आएं, तुमने हमारा काम बिगाड़ा है, तुलसी के साथ इन्हें भी मार देते हैं। कुंदन से कोर्ट को आगे बताया कि 25 दिन की अवैध हिरासत में एसपी दिनेश एमएन, सीआई अब्दुल रहमान, नारायण सिंह, कांस्टेबल तेज सिंह, करतार, युद्धवीर सहित अन्य पुलिसकर्मी आते थे और मारपीट करते थे।
कुंदन ने बताया 25 दिन बाद पुलिस ने मुझे और मरेे दोस्त विमल को स्मैक का फर्जी-केस बनाकर गिरफ्तार कर और जेल भेज दिया था। जेल में मामा तुलसी और उनके साथी भी थे। जेल में साथ रहते हुए मामा तुलसी ने बताया था कि पुलिस ने सोहराबुद्दीन को फर्जी मुठभेड़ में मारा था और मैं सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी (भाभी) की मौत के केस का चश्मदीद गवाह हूं, इसलिए पुलिस मुझे भी मारना चाहती है।
कुंदन ने कोर्ट को बताया कि 25 नवंबर 2006 को उदयपुर पुलिस मामा तुलसी को अहमदाबाद पेशी पर लेकर गई थी। तब हम जेल में ही थे। पुलिस आजम को किसी अन्य फर्जी केस में ले गई थी, इसलिए उसे मामा के साथ पेशी पर नहीं ले गए थे। मामा ने जान का खतरा होने का अंदेशा जताया था और कहा था कि मैंने कई जगह इस संबंध में एप्लीकेशन दे रखी हैं, तो पुलिस कुछ नहीं करेगी। बाद में हमें सूचना मिली थी कि पुलिस ने मामा तुलसी को भी फर्जी मुठभेड़ में मार दिया है।
कोर्ट में अब्दुल रहमान के वकील वहाब खान ने कुंदन से किये सवाल तो आया बयानों में विरोधाभास
बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर : कुंदन ने बताया कि सीबीआई अधिकारी राजीव चंडोला ने मेरा स्टेटमेंट लिया था, लेकिन मुझे कभी पढ़कर नहीं सुनाया गया। स्टेटमेंट में क्या लिखा, सच या झूठ, मुझे यह भी नहीं पता। सीबीआई को मैंने बताया था कि मैं तुलसीराम के दोस्तों को नहीं जानता, न ही पहचानता हूं। सीबीआई को मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि मामा ने जेल में रहकर खुद के सोहराबुद्दीन केस के गवाह होने के बारे में बताया हो। सीबीआई ने मेरे बयानों में ऐसा लिखा, मुझे नहीं पता।
कुंदन ने बताया कि तुलसी और सोहराबुद्दीन दोस्त थे, मुझे तो यह भी नहीं पता था। वे दोस्त थे, ऐसा मैंने सीबीआई को कभी नहीं बताया। मैंने रूबावुद्दीन का नाम कभी नहीं सुना, न मिला, न ही उसे जानता हूं और न ही उससे कभी फोन पर बात हुई। मुझे ये भी नहीं पता है कि रुबावुद्दीन सोहराबुद्दीन का छोटा भाई है। उससे मेरी फोन पर भी कभी बात नहीं हुई।
कुंदन ने बताया कि 18 दिसंबर 2006 को सलूंबर पुलिस ने मुझे और मेरे दोस्त विमल को एनडीपीएस केस में गिरफ्तार किया था। कोर्ट में वकील वहाव खान ने कुंदन की गिरफ्तारी से संबंधित फर्द जब्ती, फर्द गिरफ्तारी, फर्द सहमती पर इसके हस्ताक्षर दिखाए, तो कुंदन से हस्ताक्षर पहचाने, ये दस्तावेज कोर्ट में एग्जीबिट हुए।
25 दिन की अवैध हिरासत को लेकर बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर कुंदन ने बताया कि रिमांड के लिए कोर्ट में पेश करते समय या जमानत के दौरान भी मैंने इसकी जानकारी कोर्ट को कभी नहीं दी और न ही सीबीआई को इस बारे में कुछ बताया था। सीबीआई ने भूपालपुरा, सूरजपोल, सराड़ा, सलूंबर या इसवाल चौकी की पुलिस को भी कभी आईडेंटिफाई नहीं करवाया, नहीं कि किसी
पुलिसकर्मी की पहचान करवाई थी।