उदयपुर. सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर मामले में शनिवार को मुंबई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में हेडकांस्टेबल भूरालाल और एसआई किशन सिंह सोलंकी के बयान हुए। वहीं पिछले तीन-चार तारीखों की तरह इस बार भी सोहराबुद्दीन के तीनों भाई गवाही देने कोर्ट नहीं पहुंचे।
रूवाबुद्दीन और शाहनवाजुद्दीन के लिए उज्जैन पुलिस ने जवाब भेजा कि ये इनके घर पर नहीं हैं ,तो समन तामील नहीं हुए हैं। सीबीआई ने रुवाबुद्दीन के घर डाक के जरिए भी समन भेजा था, लेकिन वह भी वापस अा गया। तीसरे भाई नयाबुद्दीन के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसका एक्सीडेंट हो गया है और वह अहमदाबाद हॉस्पिटल में भर्ती है। वकील ने इस संबंध में हॉस्पिटल के दस्तावेज भी जमा करवाए। कोर्ट में चल रही चर्चा के दौरान सीबीआई को यह निर्देशित किया गया है कि जो गवाह लंबे समय से नहीं आ रहे हैं, उन्हें ड्रॉप किया जाए और दोनों मामलों से जुड़े अनुसंधान अधिकारियों की सूची पेश की जाए। खासबात यह है कि सोहराबुद्दीन और तुलसी के परिजन पिछले कई महीनों से लगातार पेशियां चूक रहे हैं और बयान देने कोर्ट नहीं पहुंच रहे हैं। इधर सोहराबुद्दीन अौर तुलसी का साथी आजम भी गिरफ्तार होने का डर बताकर बयान देने कोर्ट नहीं पहुंच रहा है। मामले में परिजनों के अलावा करीब-करीब सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान हो चुके हैं।
वहां ड्यूटी पर नहीं था तो हथियार ईशू किसने किए ध्यान नहीं
हेडकांस्टेबल भूरालाल ने बताया कि 2006 में वह पुलिस लाइन में कोत इंचार्ज था। हथियारों का रख-रखाव और जाब्ते काे ईशू करने का काम करता था। 25 दिसंबर 2006 को एएसआई नारायण सिंह को एक रिवॉल्वर और 12 कारतूस ईशू हुए थे, लेकिन मैं उस दिन वहां ड्यूटी पर नहीं था, ऐसे में ध्यान नहीं है कि हथियार किसने ईशू किया था। एएसआई नारायण सिंह ने हथियार जब वापस जमा कराए थे, तब मैं ड्यूटी पर था। नारायण सिंह ने 6 कारतूस वापस जमा करवाए थे और बताया था कि रिवॉल्वर और छह कारतूस गुजरात के एक मुकदमे में जब्त हो गए हैं। इसका इंद्राज रजिस्टर में किया गया। बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर गवाह ने बताया कि सभी पुलिसकर्मियों को हर वर्ष पुलिस लाइन कोत में मौजूद हथियार, थानों में रखे हथियार और किसी अधिकारी के नाम से ईशू हुए हथियार से प्रेक्टिस (चांदमारी) करवाई जाती है।
एप्लीकेशन देखकर कहा हां छुट्टियां दी थी
किशन सिंह सोलंकी ने बताया कि वह 2006 में पुलिस लाइन में एसआई आर्मोरर था। उस वक्त आर्मोरर ओम कुमार थे, बाद में कौन आरआई रहे, मुझे याद नहीं। एलओ और आरआई छुट्टी पर होते थे तो जवानों को छुट्टी देने का काम करता था। उस समय छुट्टी पर कौन-कौन गया याद नहीं। सीबीआई पीपी ने कोर्ट में सोलंकी को एप्लीकेशन दिखाई तो हस्ताक्षर पहचानते हुए सोलंकी ने कहा हां नारायण सिंह, युद्धवीर, करतार और दलपत सिंह की छुट्टी स्वीकृत की थी। बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर सोलंकी ने बताया कि कांस्टेबल से एसआई तक हर पुलिसकर्मी को प्रतिवर्ष 25 सीएल मिलती हैं और ये छुट्टियां वह कभी भी ले सकता है।