पीपी ने भी तीसरे दस्तावेज पर नहीं किए कोई सवाल।
सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में शुक्रवार को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में तीन महत्वपूर्ण दस्तावेजों में हैंड राइटिंग का एग्जामिन करने वाले डिप्टी चीफ स्टेट एग्जामिनर ऑफ क्वेश्चंड डॉक्यूमेंट आरएन गुना के बयान हुए। एग्जामिनर आरएन गुना ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने सिर्फ दो दस्तावेजों को एग्जामिन किया था। सीबीआई चार्जशीट में तीसरे दस्तावेज के संबंध में आरएन गुना की दी गई एग्जामिन रिपोर्ट और ओपीनियन शामिल है। इसके बावजूद सरकारी वकील बीपी राजू ने एग्जामिनर से इस तीसरे दस्तावेज के बारे में कोई सवाल नहीं किया।
दो आईपीएस से संबंधित ये दस्तावेज : एक के स्वीकारे, दूसरे का हवाला भी नहीं
: सीबीआई ने एटीएस गुजरात की गाड़ी की लॉगबुक जब्त की थी और इसमें तत्कालीन एटीएस निरीक्षक बालकृष्ण चौबे और एनवी चौहान के साइन थे। गाड़ी की लॉग बुक में इन दोनों के ही हस्ताक्षर हैं, इस बात की सीबीआई ने जांच करवाई थी। गांधी नगर के डिप्टी चीफ स्टेट एग्जामिनर ऑफ क्वेश्चंड डॉक्यूमेंट आरएन गुना ने ओपीनियन दी थी कि इन लॉग बुक में जो हस्ताक्षर हैं, वे बालकृष्ण चौबे और एनवी चौहान के ही हैं।
यह दस्तावेज इसलिए महत्वपूर्ण है, क्यों कि लाॅगबुक में हस्ताक्षर तो हैं, लेकिन गाड़ी कहां गई और कब लौटी इसका जिक्र नहीं लिखा है, जबकि आमतौर पर लाॅगबुक में यह सारी जानकारी लिखी होती है। सीबीआई ने चार्जशीट में यह दावा किया था तत्कालीन एटीएस डीआईजी डीजी बंजारा , दोनों निरीक्षकों बीके चौबे और एनवी चैहान के साथ कौसरबी के शव को इस गाड़ी में लेकर इलोल गए थे और वहां कौसरबी के शव का निस्तारण किया था।
: सीबीआई ने तीसरा दस्तावेज हैदराबाद की इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए सभी प्रकार की चेकिंग से गुजरकर एयरपोर्ट के अंदर पहुंचने के बाद यात्री से भरवाए जाने वाले डिक्लेरेशन फॉर्म पर हुए हस्ताक्षर की जांच करवाई थी। सीबीआई ने चार्जशीट में यह बताया था कि डिक्लेरेशन फॉर्म में हस्ताक्षर राजकुमार नाम से किए गए थे, लेकिन हस्ताक्षर तत्कालीन गुजरात एटीएस एसपी राजकुमार पांडियन ने नहींए बल्कि उसके असिस्टेंट कांस्टेबल अजय परमार ने किए थे। सीबीआई ने अजय परमार के हस्ताक्षर और फॉर्म में हुए हस्ताक्षर की जांच करवाई थी। इसमें एग्जामिनर आरएन गुना ने जांच कर ओपीनियन दी थी कि यह दोनों साइन अजय परमार के ही हैं। हालां कि शुक्रवार को कोर्ट में एग्जामिनर गुना ने इस दस्तावेज का कोई हवाला बयानों में नहीं दिया और न ही कोर्ट में सीबीआई के सरकारी वकील बीपी राजू ने इस संबंध में एग्जामिनर गुना से कोई सवाल किया।
यह दस्तावेज इसलिए महत्वपूर्ण है : सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में सीबीआई ने चार्जशीट में इस दस्तावेज से यह तथ्य साबित करने का प्रयास किया था कि तत्कालीन एटीएस एसपी राजकुमार पांडियन हैदराबाद से गुजरात टीम के साथ गाड़ी से आए थे और रास्ते में सोहराबुद्दीनए कौसरबी और तुलसी का अपहरण किया था। बचने के लिए उन्होंने अपने नाम से फ्लाइट में बुक सीट पर अपने असिस्टेंट कांस्टेबल अजय परमार को भेज दिया था और अजय ने फ्लाइट में बैठते समय हस्ताक्षर भी राजकुमार नाम से किए थे।
गवाह ने कहा मुझसे तीसरे दस्तावेज के बारे में पूछा नहीं, तो मैंने बताया नहीं
डाॅक्यूमेंट एग्जामिनर गुना जब बयान देने कोर्ट पहुंचे थे तो वे साथ में तीनों दस्तावेज की एक- एक फोटोग्राफ लेकर आए थे। उन फोटो से संबंधित हुई चर्चा में उन्होंने बताया था कि उनके विभाग में कोई भी दस्तावेज एग्जामिन के लिए आता है, तो उन सभी दस्तावेजों की रिकाॅर्ड के लिए फोटो ली जाती है। ये फोटोकाॅपी तीन दस्तावेजों की है। इसके बाद गुना ने कोर्ट में बयान दिए तो तीसरे दस्तावेज का कोई हवाला नहीं दिया। बयानों के बाद कोर्ट के बाहर उनसे पूछा गया कि आपने इस तीसरे दस्तावेज के बारे में कोर्ट को कुछ क्यों नहीं बताया? तो उन्होंने जवाब दिया कि पब्लिक प्रोसीक्यूटर (पीपी) ने इस दस्तावेज के बारे मेें कुछ पूछा नहीं, तो मैंने बताया नहीं।