उदयपुर। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में सोमवार को मुंबई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में उदयपुर के ट्रैफिक डीएसपी और तत्कालीन हाथीपोल एसएचओ भंवर सिंह हाड़ा के बयान हुए। हाड़ा ने कोर्ट को बताया कि वह 29 नवंबर 2005 को डीएसपी सुधीर जोशी के नेतृत्व में गई टीम के साथ भीलवाड़ा तुलसी को गिरफ्तार करने गया था और तुलसी को उसी दिन गिरफ्तार कर उदयपुर लेकर लौटे थे। लेकिन सीबीआई ने गिरफ्तार करने की धमकी देकर बयान में तुलसी प्रजापति की गिरफ्तारी की तारीख 29 नवंबर के बजाए 26 नवंबर बोलने के लिए कहा था और दबाव में लेकर अगस्त 2011 में मुंबई कोर्ट में धारा 164 के तहत गलत बयान करवाए थे।
हाड़ा ने कोर्ट को बताया कि उसके सबसे पहले बयान 12 मई 2010 में सीबीआई के इंस्पेक्टर एनएस राजू ने लिए थे। तब मैंने वही बताया था जो सच था, कि हम तुलसी प्रजापति को गिरफ्तार करने भीलवाड़ा 29 नवंबर को गए थे। तत्कालीन डीएसपी सुधीर जोशी को मुखबीर से सूचना मिली थी कि तुलसी समीर उर्फ प्रफुल्ल नाम से भीलवाड़ा मे रह रहा है। लेकिन 2011 में मुझे सीबीआई इंस्पेक्टर विश्वास मीणा और एनएस राजू ने बहुत धमकाया और कहा कि कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत होने वाले बयानों में तुलसी की गिरफ्तारी 29 नवंबर को नहीं बल्कि 26 नवंबर को बतानी है। ऐसा नहीं किया तो गिरफ्तार कर लेंगे। हाड़ा ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई के विश्वास मीणा ने चार दिन कस्टडी में रखकर इस कदर धमकाया था कि मैं अवसाद में चला गया था, कुछ समझ नहीं आ रहा था। दबाव में मैंने कोर्ट में सीबीआई के बताए अनुसार गलत बयान दिए थे, कि तुलसी को हम 26 नवंबर को भीलवाड़ा से गिरफ्तार कर लाए थे। तुलसी के भीलवाड़ा में होने की सूचना डीएसपी सुधीर जोशी को मुखबीर के बजाए सीआई अब्दुल रहमान ने दी थी और एसपी दिनेश एमएन ने तुलसी की गिरफ्तारी दो-तीन दिन बाद बताने को कहा था। यह सभी बातें पूरी तरह गलत थीं, जो मुझसे सीबीआई ने गिरफ्तारी का डर बताकर कोर्ट में हुए बयान में कहलवायी थीं।
2005 में बना थाने का रोजनामचा कोर्ट में पेश किया
आरोपी पक्ष की ओर से वकील के सवाल पूछने पर भंवर सिंह हाड़ा ने हाथीपोल थाने में 29 नवंबर 2005 को तुलसी को गिरफ्तार करने के लिए थाने से रवाना हुई टीम की रोजनामचा में लिखी जानकारी, रोजनामचा पर किए हस्ताक्षर, तुलसी की गिरफ्तारी के बाद बनाया गया अरेस्ट मीमो और इस पर उसके हस्ताक्षर की पहचान की। इन दोनों दस्तावेजों के अलावा भंवर सिंह हाड़ा ने तुलसी की गिरफ्तारी के बाद बनाए गए पूछताछ नोट की भी पहचान की । इन सभी दस्तावेजों को कोर्ट प्रक्रिया में शामिल किया गया।
बंजारा आए थे और सर्किट हाउस में ठहरे थे
सीबीआई की ओर से सरकारी वकील के सवाल पर हाड़ा ने कोर्ट को बताया कि तुलसी की गिरफ्तारी के एक महीने बाद गुजरात के पुलिस अधिकारी डीजी बंजारा उदयपुर आए थे और मेरे थाना क्षेत्र स्थित सर्किट हाउस में ठहरे थे। बयान में लिखी यह बात कि मैं उनको शाॅपिंग कराने भी ले गया था, यह पूरी तरह गलत है।
क्या होता है रोजनामचा: रोजनामचा हर पुलिस थाने में एक ऐसा रजिस्टर होता है, जिसमें थाने में होने वाली हर गतिविधि नोट की जाती है। रोजनामचे में पुलिसकर्मियों की प्रतिदिन होने वाली आमद-रवानगी, आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर अन्य बातें नोट की जाती हैं।
उदयपुर के एसआई हिमांशु और श्याम सिंह सहित चार पर लगा जुर्माना
18 मई को कोर्ट तारीख पर पेष नहीं होने पर कोर्ट ने एसआई हिमांषु सिंह, श्याम सिंह, गुजरात के पुलिस अधिकारी एमएल परमान और फार्म हाउस मालिक राजू जीरावाला के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। आज सभी कोर्ट में पेश हुए। इस पर कोर्ट ने सभी की फटकार लगाई और कहा कि उस दिन आप लोगों के कारण पेशी पर उदयपुर से आए बुजुर्ग व बीमार गवाह और सांगली से आए गवाह को पूरे दिन परेशान होकर लौटना पड़ा था। भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होने देने की हिदायत देकर चारों पर 2-2 हजार रूपए जुर्माना लगाया और दोनों गवाह को डेढ़-डेढ़ हजार रूपए देने के आदेश दिए।