
मुंबई. सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में गुरुवार को मुम्बई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में चल रही ट्रायल के दौरान सोहराबुद्दिन के भाई शाहनवाजुद्दीन के वकीलों के एक दल के साथ कोर्ट रूम में पहुंचने से हलचल मच गई। शाहनवाजुद्दीन की ओर से वकील ने कोर्ट को एक एप्लीकेशन दी और शाहनवाजुद्दीन ने सीबीआई पर आरोप लगाया कि महत्वपूर्ण गवाह होने के बावजूद सीबीआई ने उसे गवाह सूचि में शामिल नहीं किया है। Sohrabuddin encounter case : Shahnawazuddin made such allegations on CBI, BJP leader that everyone was shocked
कोर्ट में एक के बाद एक सीबीआई पर और बरी हो चुके राजस्थान, गुजरात बीजेपी नेता और आईपीएस अधिकारियों पर शाहनवाजुद्दीन ने आरोप लगाए। इससे मामले से जुड़े सभी लोग सकते में आ गए। कोर्ट में चली बहस के बाद न्यायाधीश ने शाहनवाजुद्दीन की ओर से दी एप्लीकेशन स्वीकार कर ली है और इस पर सीबीआई का जवाब मांगा है।
कोर्ट में तत्कालीन सूजरपोल निरीक्षक डीएसपी जसवंत सिंह के बयान चल रहे थे। तभी शाहनवाजुद्दीन एक महिला वकील सहित तीन-चार वकीलों के दल के साथ काेर्ट रूम पहुंचे और वहां बैठ गए। जसवंत सिंह के बयान होने के बाद शाहनवाजुद्दीन की ओर से महिला वकील ने कोर्ट में परिचय दिया और प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। अचानक से शाहनवाजुद्दीन के आने से सभी सकते में आ गए।
शाहनवाजुद्दीन ने आरोप लगाया कि सीबीआई महत्वूपर्ण गवाहों को गवाह सूची और दस्तावेजों को चार्जशीट में शामिल करने में पूरी तरह असफल साबित हुई है। सीबीआई ने उससे तुलसी के हस्ताक्षशुदा चार खाली कागज लेकर सीज किए थे और सीजर मीनू भी बनाया था, इसके बावजूद उसे गवाह सूचि में शामिल नहीं किया।
उसे पिछले दिनों पता चला कि सीबीआई ने चार्जशीट में जिन बीजेपी नेता और आईपीएस अधिकारियों को आरोपी बनाया था, वे सभी ट्रायल शुरू होने से पहले ही बरी हो चुके हैं और सीबीआई ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील तक नहीं की। वह बहुत अचंभित और व्यथित है कि ट्रायल के दौरान एक के बाद एक गवाह होस्टाइल हो रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखकर शाहनवाजुद्दीन ने चार्जशीट ली और देखी तो उसे पता चला कि तुलसी के हस्ताक्षरशुदा जिन चार खाली कागजों को सीबीआई ने 18 फरवरी 2010 को उससे जब्त किए थे, वे तो चार्जशीट दस्तावेजों में शामिल किए, लेकिन उसने जो बयान दिए थे, उसे चार्जशीट में शामिल नहीं किए हैं और न ही उसे गवाह सूची में रखा है।
शाहनवाजुद्दीन ने कोर्ट में बताया कि तुलसी अक्टूबर 2006 में पेशी पर उज्जैन लाया गया था और वह तुलसी से वहां मिला था। तुलसी के एनकाउंटर से ठीक एक महीने पहले वह उससे मिला था और तुलसी ने पूरी कहानी बताई थी, ऐसे में वह एक महत्वपूर्ण गवाह है। शाहनवाजुद्दीन ने कोर्ट में बताया कि तुलसी ने पेशी पर हुई मुलाकात के समय उससे मांफी मांगी थी कि गुजरात के पुलिस अधिकारी अभय चूडाश्मा ने उसका उपयोग किया और उसे धोखे में रखकर वे सोहराबुद्दीन तक पहुंचे थे।
शाहनवाजुद्दीन ने कोर्ट में बताया अभय चूडाश्मा ने तुलसी को यह कहकर विश्वास में लिया था कि सोहराबुद्दीन को गिरफ्तारी को लेकर बहुत ज्यादा पॉलीटिकल प्रेशर है। ऐसे में गिरफ्तार करना जरूरी है। तुलसी ने उस समय खुद की जान को खतरा बताते हुए यह भी कहा था कि सोहराबुद्दीन और कौसरबी के अपहरण का वह चश्मदीद गवाह है, ऐसे में उसकी हत्या भी हो सकती है। शाहनवाजुद्दीन ने कोर्ट में कहा कि तुलसी ने उसे गुजरात बीजेपी नेता, राजस्थान गृहमंत्री कटारिया, पुलिस अधिकारियों के नाम भी बताए थे, जो सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़े हुए थे। लेकिन वह अभी कोर्ट में गुजरात के बीजेपी नेता का नाम नहीं लिख रहा है, क्यों कि नाम लेने से उसे भी खतरा हो जाएगा।
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