
उदयपुर। सोहराबुद्दिन-तुलसी एनकाउंटर केस बुधवार को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई। पेशी पर आए तत्कालीन निरीक्षक अभय सिंह राठौड़ के बयान हुए। उन्होंने बयान में कोर्ट को बताया कि वे 2005-06 में उदयपुर में एसपी ऑफिस के अपराध शाखा में अपराध सहायक थे। उस समय दिनेश एमएन एसपी और ए एसपी हेडक्वार्टर हरिप्रसाद कटारा थे। उनके सेक्शन में थानों से आने वाली क्राइम फाइल और आम जनता के परिवाद आते थे। इन फाइलों और परिवाद को वे एसपी के समक्ष पेश करते थे, एसपी के फ़ाइल पर मार्क करने पर उनके आदेशानुसार फाइल अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजी जाती थी। Sohrabuddin encounter case ret inspector from udaipur statement in court during trail
उनके सेक्शन में आने वाले परिवाद तीन पार्ट में होते थे। वे शिकायते जो उच्च अधिकारी और सरकार के जरिये जांच के लिए आती थी और इनपर क्या कार्रवाई हुई इसका जवाब हमें पेश करना होता था। दूसरे पार्ट में शिकायत आती थी लेकिन जवाब नही देना होता था। तीसरे पार्ट के तहत शिकायत आम जनता से आती थी।
एनएचआरसी के भेजे परिवाद पर पीपी ने किया क्रॉस
नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने तुलसी का एक परिवाद जांच के लिए भेजा था। इसमे क्या कार्रवाई हुई यह रिपोर्ट वापस नही भेजनी थी तो इसे पार्ट 2 में रखा गया। उस दिन एसपी कार्यालय में नहीं थे तो इस शिकायत को ए एसपी हरिप्रसाद कटारा के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने जांच के लिए शिकायत डीएसपी आफिस भेज दी और तत्कालीन प्रशिक्षु आईपीएस (डीएसपी ईस्ट) हिंगलाजदान ने इसे जांच के लिए सूरजपोल थाने भेज दिया था। अभय सिंह राठौड़ ने बताया कि इस परिवाद की कंप्लायंस रिपोर्ट उन्हें वापस नहीं भेजनी थी। ऐसे में इस पर क्या कार्रवाई हुई उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
कोर्ट में हुए गवाह के दौरान आरोपी पक्ष के वकील के क्रॉस में पूछने पर अभय सिंह राठौड़ ने बताया कि उस परिवाद पर ऐसा कुछ नहीं लिखा था जिससे या पता चलता हो कि परिवाद जेल में लिखा गया है या जेल अथॉरिटी के जरिये भेजा गया है। एनएचआरसी की तरफ से भी ऐसा कुछ भी परिवाद पर नहीं लिखा था कि ये परिवाद कहाँ से प्राप्त हुआ है। इसके अलावा परिवाद पर कहीं भी तारीख नहीं लिखी थी कि यह कब लिखा गया था। इस पत्र से संबंधित तत्कालीन निरीक्षक और डीएसपी जसवंत सिंह के गुरुवार को बयान होंगे।
पहले ही बता दिया था तुलसी ने एनकाउंटर का तरीका
तुलसी ने एनएचआरसी को भेजे परिवाद में अपनी जान को खतरा बताया था। उसने परिवाद में लिखा था राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और एमपी पुलिस उसका एनकाउंटर कर सकती है। तुलसी ने इस संबंध में यह भी लिखा था कि उसकी जान को खतरा है और पुलिस किसी भी पेशी पर ले जाने के दौरान उसका एनकाउंटर कर सकती है। तुलसी ने अपने फर्जी एनकाउन्टर होने का खतरा बताते हुए ये भी लिखा था कि पुलिस पहले भी उसके साथी का फर्जी एनकाउंटर कर चुकी है। ऐसे में वह उसका एनकाउन्टर भ कर सकती है। उसे जान का खतरा है और सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए।Sohrabuddin encounter case ret inspector from udaipur statement in court during trail




